For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोलह शृंगारों सजी, प्रकृति चंचला रूप .
उसकी मतवाली छटा, मन भाती है खूब ..
 
झरना झर-झर बह चले, मतवाली ले चाल .
मन में इक कम्पन करे, उसकी सुर लय ताल ..
 
कल-कल कर बहती नदी, मस्ती भर दे अंग .
वाचाला औ चंचला, बदले पल पल रंग ..
 
बारिश की बूंदों नहा, निखरा कैसा रूप .
अन्तः मन निर्मल करे, छाँव खिले या धूप ..
 
उढ़ता बादल कोहरा, मन ले जाए दूर .
बाहों में उसको भरूँ, कहता मन मगरूर ..
 
ओस बूँद भी झिलमिला, अपने पास बुलाय .
हाथों से जो छू लिया, शरमाए बल खाय ..
 
फूलों में खुशबू बसी, श्वांसों घोले प्यार .
दो अनजाने इक बनें, बदल पुष्प के हार ..
 
हरियाली की ओढ़नी, ओढ़े मातृ स्वरूप .
क्षत- विक्षत कर ओढ़नी, मानव करे कुरूप ..
 
झूम-झूम देखो कहे, गुलमोहर की डाल .
बाहों मेरी झूम ले, आ रे झूला डाल ..
 
काँटों में मुस्का रहे, हर पल सुन्दर फूल .
सुख- दुख सम रहना सदा, बात न जाना भूल ..
 
पीले पत्ते झड़ चले, वृक्ष खड़ा मुस्काय .
अटल नियति का हर नियम, क्यों फिर अश्रु बहाय ..
 
उमड़- घुमड़ बदरा करें, मन चंचल बेचैन .
टिप-टिप छप-छप भीग कर, लौटे मन का चैन ..
 
पर्वत हिम मस्तक सजा, चूम रहे आकाश .
सिद्ध संत कर साधना, बाँटें दिव्य प्रकाश ..
 
धरती की रक्षा करें, करें प्रकृति से प्यार .
प्रण ले यह जीवन जियें, करेंगे न संहार ..

Views: 875

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:41am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,
आपके द्वारा मेरे दोहा छंद पर होने वाले प्रयास को सफलता की हरी झंडी मिल जाना, किसी प्रशस्ति पत्र के ही सामान है.
आपकी बहुमूल्य सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:36am
आपको यह रचना पसंद आयी, आपका आभार आ. उमाशंकर मिश्रा जी.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:34am
आदरणीय भावेश राजपाल जी आपने इन दोहों को पसंद किया व सराहा आपका बहुत बहुत आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:31am
आदरणीय राजेश कुमारी जी, आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:29am
आदरणीय अविनाश बागडे जी आपका आभार, आपने इस दोहावली को सराह कर मेरा उत्साह बढाया.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:27am

इस प्रकृति को समर्पित दोहावली को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आ. संजय मिश्रा जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2012 at 10:26am

इस दोहावली को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आ. रेखा जोशी जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 1:04am

डा प्राची, आपकी छंद रचना मुग्धकारी है.  सस्वर दोहे पढ़ें तो शब्दशः मात्राएँ संयत और रोचक ढंग से सधी प्रतीत होंगी. आपका सतत प्रयास स्पष्ट दीख रहा है. मेरी सादर बधाई स्वीकार करें.

ध्यातव्य :  

श्रृंगार    :-(

शृंगार    :-)

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 25, 2012 at 11:52pm

क्या कहने है बहुत अनुपम  दोहे रचे हैं

प्रकृति के निराली छटा बिखेरती इस रचना पर

वाह वाह वाह वाह ......बधाई डाक्टर प्राची सिंग जी

Comment by Bhawesh Rajpal on June 25, 2012 at 11:22pm
मुझे तो शब्द ही नहीं मिल रहे थे , आप कृपया  आदरणीय  अलबेला जी के शब्दों को ही मेरे भी शब्द समझ लीजिये !
अलबेला जी से क्षमा याचना सहित !  -  भवेश राजपाल  ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service