For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों न नेता बन जाऊँ (हास्य-कविता)

जुम्मन अब्बू से बोला
दो पैसा बदलूँ चोला
निठल्लू जवान खाते गोला
सुधरो जल्दी तुमको बोला
पैसा न एक मेरे पास
कमाओ खुद छोडो आस
धंदा कोई न आता रास
बाजार करता न विश्वास
जेब कटी की सारी कमाई
पुलिस ले उडी भाई
युक्ती सुन्दर तुम्हे बताता
बन जा नेता का जमाता
अच्छी है ये तुम्हरी सीख
मांगनी पड़े अब न भीख
छुट भैया में बड़ा लोचा
करूँ धंधा कई बार सोचा
पनवाडी ने करा खाता बंद
सब बोले धंदा है मंद
माल मुफ्त अब मत खाओ
जीना है अगर यूँ ही
पुलिस मैन बन जाओ
पुलिस वालों की क्या जिंदगी
भ्रष्ट नेतन की करें बंदगी
नेता बन किस्मत अजमाऊँ
मंत्री पुत्र को साला बनाऊँ
पेट्रोल पम्प हों कई मधुशाला
गुजरे समय बीच रंगशाला
द्वार बैठ स्वामिभक्त कहलाऊँ
भोले बन राज जान जाऊँ
निकले वैकेंसी जब सदन में
गिरगिट अस दिखूँ हर दल में
साधू चोला ले चमकूँ गगन में
महामहिम बन दिखूँ  सदन में

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 21, 2012 at 5:07pm

आदरणीय भ्रमर जी, सादर धन्यवाद स्नेह हेतु,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 21, 2012 at 5:06pm

धन्यवाद  आदरणीय  लडीवाला जी सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 21, 2012 at 5:05pm

धन्यवाद आदरणीय योगी जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 21, 2012 at 5:05pm

धन्यवाद स्नेही कुमार जी. 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 23, 2012 at 1:11am

युक्ती सुन्दर तुम्हे बताता 
बन जा नेता का जमाता 
अच्छी है ये तुम्हरी सीख 
मांगनी पड़े अब न भीख 

हाँ आदरणीय कुशवाहा जी सारे मर्ज की दवाई तो इहै हैं नेतवन   सब पर नकेल  कसे  गिरगिट के भी दादा हैं तब तो महामहिम तक ना  --भ्रमर ५ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 22, 2012 at 6:55pm
महामहिम बन दिखू सदन में आज
कल बन राज्यपाल करू ऐश का राज 
सबके काम करू  लेकर धन क्या एतराज 
रहू न फिर कभी किसी  के आगे मोहताज 
-अच्छा व्यंग है, पसंद है 
Comment by Yogi Saraswat on June 22, 2012 at 3:58pm

निकले वैकेंसी जब सदन में
गिरगिट अस दिखूँ हर दल में
साधू चोला ले चमकूँ गगन में
महामहिम बन दिखूँ  सदन में

क्या बात है ! बहुत उम्दा

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 22, 2012 at 10:54am

आदरणीय कुशवाहा सर, हमेशा की तरह अच्छी रचना.....बधाई.......ये नेता सुधरने वाले कहाँ......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service