For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आप में ही है यह सलीका,
जो कपडे भी- 
सहेजकर रखते हो |
एक थे मंत्री-
दिन में चार बार बदलते थे 
पत्रकार की नजर में आगये 
उनके दिन फिरगए-
मंत्री पद से चले गए |
यह आदमी की अमीरी नहीं 
बल्कि यह तो कमजोर है, 
उसके दिल का आशियाना, 
जहाँ किसी को 
मिलती ठंडी छाँव नहीं 
उसमे धैर्य नहीं,
जो जीवन-साथी को भी 
ऐसे बदलते  है-
जैसे बदलता हैकोई कपड़ा |
नहीं देखा उसने
भारतीय नारी का 
साथ रहने का 
सात जनम का सपना | 
फिर कैसे मिलता-
उसको कोई अपना |

-लक्ष्मण प्रसाद  लडीवाला,जयपुर  

Views: 349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2012 at 10:27am

भाई लक्षमण जी, इंगित को क्या खूब अंदाज़ दिया है आपने. बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 9:33am
धन्यवाद एस के शुक्ला भ्रमर जी, हमारे भारत में जहा नारी 
का सम्मान वेदों में "पत्नी ही घर है" अर्थात स्त्री के बिना घर
गर नहीं, के रूप में था, वाही आज तिरस्कार के रूप में पीड़ित 
है, के प्रति सजग होकर फिर वही सम्मान दिलाने हेतु साहित्यकार 
चिन्तक, कवि मनीषियों का दायित्व अधिक बढ़ गया है, उसी 
परिप्प्रेक्ष में  मेरी कलम से " माँ का महत्त्व, "बेटियाँ", चहरे की रौनिक,
जैसी रचनाए लिख पाया हूँ, जो आप जैसे विद्वत लोगो के समक्ष रखने 
का प्रयास है | आपके उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद | 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 15, 2012 at 11:19pm

यह आदमी की अमीरी नहीं 

बल्कि यह तो कमजोर है, 
उसके दिल का आशियाना, 
जहाँ किसी को 
मिलती ठंडी छाँव नहीं 
उसमे धैर्य नहीं,
जो जीवन-साथी को भी 
ऐसे बदलते  है-
जैसे बदलता हैकोई कपड़ा |

 आदरणीय लक्ष्मण जी ..फिर कैसे मिलता कोई उसको अपना ..भारतीय नारी के पवित्र प्रेम की गाथा जहां एक जन्म नहीं सात जन्मों का साथ ....आज लोग भटक जा रहे हैं खेल खिलौने हो गए रिश्ते ...जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2012 at 9:56pm
हार्दिक धन्यवाद श्री पी के सिंह कुशवाहजी 
 - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2012 at 10:57pm

sahi baat kese koi milta apna. badhai mahoday ji, sadar abhivadan ke sath.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service