For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधीरता

व्यग्र हो अधीर हो,कौतुक हो जिज्ञाशु हो ,
जोड़ ले पैमाना उत्थान का,
घटा ले पैमाना पतन का,
हुआ वही जो होना था,
होगा वही जो तय होगा,
परिणिति शास्वत विनिश्चित है ,
ईश्वरीय परिधि में,
मानवीय स्वाभाव न बदला है,न बदलेगा,
होगा वही जो होना है, शाश्वत युगों से.

....अलका तिवारी

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Subodh kumar on September 22, 2010 at 5:42pm
bahut sunder...prashansniya kavita....
Comment by alka tiwari on September 18, 2010 at 4:40pm
ye kavita AVSAAAAAAAAAD ke kshchadon kee hai.. Achha laga aap logon ka sochana aur abhivyakti karna,bahut-bahoot dhanyvaad aap sab mitraganon ka.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 17, 2010 at 10:40pm
यदि सभी लोग यह सोच कर बैठ जाय की जो होना है वो होकर रहेगा तो मैं समझता हूँ कि जीवन रथ डगमगा जायेगा, प्रकृति के बहुत सारे नियम फेल हो जायेंगे, विकास अवरुद्ध हो जायेगा |
हां कर्म करना चाहिये और परिणाम ईश्वर पर छोड़ देना श्रेयष्कर होगा |
Comment by sanjiv verma 'salil' on September 17, 2010 at 10:01pm
अलका जी!
यह एकांगी चिन्तन नहीं हुआ क्या? ''होगा वही जो होना है'' तो फिर प्रयास क्यों?, श्रम क्यों?, कर्म क्यों?, फिर राम-कृष्ण जो नियति को पुरुषार्थ से परिवर्तित करते हैं, गलत होंगे, 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन' को भूलना होगा. तुलसी ने भाग्य और कर्म में समन्वय स्थापित कर कहा: ''हुईहै वहि जो राम रची राखा को करि तरक बढ़ावे साखा'' और ''कर्म प्रधान बिस्व करि राखा, जो जस कराहि सो तस फल चाखा''. अस्तु..
Comment by Pankaj Trivedi on September 17, 2010 at 3:43pm
अलका जी,
मानवीय स्वाभाव न बदला है,न बदलेगा,
होगा वही जो होना है, शाश्वत युगों से.

बिलकुल सही कहा | चिंतन में गहराई है |
Comment by alka tiwari on September 17, 2010 at 10:55am
mr.ashish,
Is tanav bhari duniya me kuch pal ke relaxation ke liye ye chand pankitiya hain. accha laga ap ka padhan aur concerned comment bhi.
Comment by आशीष यादव on September 17, 2010 at 1:39am
alka ji pranaam,
waise to jo hona hoga wahi hoga. lekin isi baat ko lekar matbhed ho jata hai ki kya ham sab kuchh tyag kar baith n jaay, jb wahi hona hai to.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service