For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फर्ज के अलाव में कब तक जलो 

परछाई भी कहने लगी इधर चलो 
चन्दन से लिपट खुद को समझ बैठे चन्दन, 
भ्रम जाल में खुद को कब तक छलो|
हम तो पानी पे तैरती लकड़ी हैं दोस्तों  
सागर भी कहता है अब यूँ ही गलो|
हंस- हंस के गले मिलते हैं जड़े काटने वाले, 
फिर चलते हुए कहते हैं फूलों फलो |
ख़त्म हो चुका है कब से तेल बाती का
पर उनका  यही कहना है रात भर बलो|
 फर्ज के अलाव में कब तक जलो 
परछाई भी कहने लगी इधर चलो| 

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2012 at 10:46am

hardik aabhar Rakesh ji.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 1, 2012 at 10:37am

mananiyaa Rajesh Kumari ji, bahut ache sher, 

हंस- हंस के गले मिलते हैं जड़े काटने वाले, 
फिर चलते हुए कहते हैं फूलों फलो |
bahut sundar.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2012 at 8:35am

aabhar neerja ji aapka.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2012 at 12:34pm

hardik dhanyavaad Ganesh ji


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 25, 2012 at 12:15pm
हंस- हंस के गले मिलते हैं जड़े काटने वाले, 
फिर चलते हुए कहते हैं फूलों फलो |
बहुत ही सुन्दर , यदि इसे मीटर में बाँध दिया जाय तो बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल हो सकती है | बधाई स्वीकार करें |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2012 at 8:52am

bahut bahut abhar Neeraj ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2012 at 9:14pm

abhar Aashutosh ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2012 at 1:34pm

shukriya Aasha ji.

Comment by asha pandey ojha on February 23, 2012 at 1:00pm

हंस- हंस के गले मिलते हैं जड़े काटने वाले, 

फिर चलते हुए कहते हैं फूलों फलो | just superb .. really  very very nice

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2012 at 10:46am

aabhar avinash ji 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service