For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत - पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा

 

रात के हुस्न  पर थी  टँकी चाँदनी

पर घटाओं से ही मैं उलझता रहा 

चाँद पाने की कोशिश नहीं थी मगर

चाँद छूने को ही मैं मचलता रहा

 

सिक्त आँचल हिलाती रही रात भर

फिर भी गुमसुम हवा ही बही रात भर

कुछ सितारे ही बस झिलमिलाते रहे

धैर्य  की  ही  परीक्षा चली रात भर

 

प्रीति के दर्द को भी दबाये हुए

घूँट आँसू के ही मैं निगलता रहा

 

चाँद आया नहीं देर तक सामने

स्याह बादल लगे चादरें तानने

वक्त जाता रहा रात ढलती रही

फूल पत्ते  सभी  थे  लगे काँपने

 

बात फूलों की फूलों से होने लगी,

और नज़ारों से ही मैं बहलता रहा

 

चाँद आया भी तो एक पल के लिए

वक्त भी तो नहीं  था पहल के लिए

हाथ  भी  क्या बढ़ाता मैं संकोच में

बात टल ही गयी फिर तो कल के लिए

 

आज तक लौटकर पल वो आया नहीं

मैं जमीं पर ही करवट बदलता रहा     

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 106

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 1, 2024 at 5:27pm

  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 29, 2024 at 6:44pm

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक गीत हुआ है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 25, 2024 at 11:33pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी सराहना से मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका सुझाव उत्तम है. किन्तु 'फिर' के साथ 'से' का प्रयोग बहुत अच्छा नहीं माना जाता है. इसकारण तो का प्रयोग किया है. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 22, 2024 at 10:41pm

वाह वाह वाह वाह वाह 

आदरणीय अशोक रक्ताले जी, वाह क्या ही मनमोहक गीत लिखा है आपने। गुनगुनाते हुए झूम रहा हूं। बादलों का चादरें तानना तो मुग्ध कर गया। धैर्य की परीक्षा की तो बात ही क्या। चांद आया भी तो एक पल के लिए, प्रतीक्षा की सीमा और अधीरता को शाब्दिक करती पंक्ति। वाह वाह वाह। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

एक निवेदन

हाथ  भी  क्या बढ़ाता मैं संकोच में

बात टल ही गयी फिर तो कल के लिए

इसमें तो के स्थान पर से और प्रभावी होता-

हाथ  भी  क्या बढ़ाता मैं संकोच में

बात टल ही गयी फिर से कल के लिए

 

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2024 at 5:25pm

  आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. आपके द्वारा दर्शाये बंद में 'अने' की तुकांतता है. सादर 

Comment by Samar kabeer on July 20, 2024 at 3:23pm

जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, बहुत सुंदर और मनभावन गीत लिखा है आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

"चाँद आया नहीं देर तक सामने

स्याह बादल लगे चादरें तानने

वक्त जाता रहा रात ढलती रही

फूल पत्ते  सभी  थे  लगे काँपने"

अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ कि क्या इस बंद की तुकांतता सही है?

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service