For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आजादी
1. मैं शाम को स्कूटी से आ रहा था।एक ऑटो से आगे निकलता कि उसी लेन में सामने से तेज गति से लहराती एक मोटर साइकिल आ गई। मैं थोड़ा दाएं हटा,ऑटो थोड़ा बाएं।मोटर साइकिल सवार बेधड़क निकल गए।भयमुक्त होने के बाद मैंने पीछे की तरफ आंखें तरेड़ी।
"कोई फायदा नहीं।आजादी है।"ऑटो ड्राइवर बोला।

2. फ्लैट के म्यूटेशन के क्रम में वह आज फिर निगम कार्यालय गया।कागजात पहले ही जमा हो चुके थे।संबंधित अधिकारी से उस दिन बात शुरू हुई थी,तो वह बोला था," आदेश होगा,तो आपका कागज बना दूंगा।पर पेपर,स्टांप वगैरह के पैसे लगेंगे।फिर टाइप कराना, अलग से। ऐसे कौने करेगा? क्यूं करेगा?"
"तो करा दीजिए।खर्च मिलेगा।" कहकर वह तब आ गया था।
आज उसे कागज मिला,तो उसने हिसाब समझाया कि चार हजार पांच सौ रुपए उसने दिए थे,पर रसीद तो तीन हजार पांच सौ की ही थी। वह कागज लेकर निकल चला।अधिकारी मुंह देखने लगा।बगल के अधिकारी ने चुटकी ली,"आजादी है।"
3. झंडोत्तोलन हुआ।आजादी के नारे लगने लगे।कुछ ने "वंदे मातरम्" कहा।कुछ ने नहीं।
नारे लगाने वाले चिढ़े।नहीं लगानेवालों की तरफ गुस्साए हुए देखने लगे।फिर एक बुजुर्ग ने कहा,"आजादी है।"
4.इम्तहान पास लड़के छंट गए। फेल हुए सिलेक्ट हुए।नौकरी में आ गए।पास हुए दोस्त ने नौकरीवाले दोस्त से पूछा,"तुम तो फेल थे।नौकरी कैसे मिल गई?"
"लक्ष्मी जी की बदौलत।फेल का खेल है भाई।तुम क्या समझो?"
"आजादी है।" दूसरे ने इतना ही कहा।
5.ललिता की ललना -केंद्रित,सिंगार - समर्पित कहानी छप गई।लखन की वृद्धाश्रम की बीहड़ जिंदगी को बयां करती कहानी तिरस्कृत हो गई। वह अखबार के संपादक को खरी -खोटी सुनने लगा।
"ऐसा मत कर मेरे दोस्त।"
"क्यूं न करूं?आजादी है मुझे।"
"छापने वाले को भी है।" लखन के दोस्त ने इतना ही कहा।
6. "ये जांच एजेंसी वाले पक्षपात करते हैं,मनमानी भी।"
"कैसे?"
"देखो न।कब का घोटाला,कब हमारे पीछे लगे हैं?"
"घोटाला किया ही क्यूं?"
"तब लूट की छूट थी।"
"और अब एक्शन लेने की आजादी है।"
7."ये नेता लोग जिसके साथ चुनाव जीतते हैं,उसका साथ छोड़ विरोधियों के साथ क्यूं सरकार बना लेते हैं? इन्हें शर्म नहीं आती?"
"चुनाव में लाज -शर्म कोई मुद्दा होता नहीं है। वैसे भी देश में आजादी का माहौल है।"

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 229

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 8, 2022 at 7:05pm

आभार आ.लक्ष्मण भाई।नमन।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 24, 2022 at 5:53am

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। अच्छी व्यगात्मक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service