For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212     1122     1212     22 / 112

मेरे  अपनों  का  ही खंजर मेरी तलाश में है ।

जिन्हें बनाया था अफसर मेरी तलाश में है ।।

जड़ों को सींच रहा हूँ शुरू से ओ बी ओ की,

नये  आए हैं  वो  चाकर  मेरी तलाश  में हैं ।

जताते झूूठा वो हक़ जो ग़ज़ल की शोहरत पर,

उन्हीं  के  हाथ  का  पत्थर  मेरी  तलाश में है ।

बहुत गुमान है उनको तो जन्म के शहर का,

नगर का हूँ  मैं तो रहबर  मेरी  तलाश  में हैं ।

जहाँ में सच के सहारे अभी  कोई तो रहे,

कि  घर में हूँ कोई बाहर मेरी तलाश में है ।

जिसे उठा के हमीं ने फलक पे टाँका था ,

सितारा जो रहा नौकर मेरी तलाश में है ।।

अभी बदल तो रही ज़िन्दगी ज़रा 'चेतन' 

पता मुझे है वो हद कर मेरी  तलाश में है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'

 

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on August 31, 2021 at 9:33pm

मतले के सानी मिसरे में है, के स्थान पर है ं, गलत टंकित हुआ है, इसका मुझे खेद है, आदरणीय  ! 

Comment by Chetan Prakash on August 31, 2021 at 9:29pm

नमस्कार, सुशील सरना साहब, आपने उत्साह बढ़ाया, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी, आपका आभारी हूँ! 

Comment by Chetan Prakash on August 31, 2021 at 9:25pm

आदरणीय, रवि शुक्ला जी नमन, स्पष्ट और विस्तार से अपनी बात कहे, आभारी हूँ गा, ! सादर  

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2021 at 11:50am
वाह खूबसूरत अहसासों की शानदार गजल । हार्दिक बधाई सर
Comment by Ravi Shukla on August 26, 2021 at 12:25pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी  ग़ज़ल की अच्छी कोशिश हुई है मगर एक दो जगह बह्र खारिज हो रही है तो मतले में रदीफ बदल रहा है । नजर−ए−सानी  कीजियेगा । सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service