For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


उदास तारा
1212, 1122, 1212, 22


न बदली  छाई थी कोई न कुहरा छाया था
लपेटे चाँदनी अपनी  क़मर भी निकला था 

सजा था रात सितारों से आसमाँ सारा
उन्हीं के बीच था गुमसुम उदास इक तारा 

उदास देख उसे दिल मेरा मचलने लगा
कि बात करने का उससे ख़याल पलने लगा 

बुलाया मैंने इशारे से फिर क़रीब उसे
कहा बता तू ज़रा  हाल ऐ हबीब मुझे 

फ़लक पे चाँद सितारों के पास रहता है
है बात क्या  कि तू फिर भी उदास रहता है 

जो खा रहा है तुझे ग़म ज़रा दिखा तू मुझे
उदास क्यूँ है मेरे यार ये बता तू मुझे 

ये बात सुनते ही मेरी वो मुस्कुराने लगा
फ़लक का हाल मुझे सारा वो सुनाने लगा 

कहा ये तुम भी ग़लत सोचते हो लगता है
तुम्हें पता नहीं कितना यहाँ  अँधेरा है 

फ़लक पे सब लगे रहते हैं बस चमकने में
न आँसू पोछता है कोई भी सिसकने में 

कोई न पूछता है ये कि हाल कैसा है
जो पढ़ ले दिल को वो साथी यहाँ न मिलता है 

फ़लक पे  शान से इक तारा जगमगाता था
वो हँसता रहता था सब पर ख़ुशी लुटाता था 

कल उसका साथ अचानक ही हमसे छूट गया
ख़बर  नहीं है किसी को कि क्यूँ वो टूट गया 

जो ग़म था उसको किसी को बता नहीं पाया
न दर्द उसका किसी को यहाँ  नज़र आया 

मैं अपना दर्द यहाँ किसको अब दिखाऊँगा
क्या मैं भी ऐसे ही इक रोज़  टूट जाऊंगा 

उदासी चेहरे पे मेरे ये छा रही है   जो
यही वो बात है मुझको सता  रही है   जो 

समझ के यार मेरे दिल की ये  ज़बाँ तुमने
हज़ार शुक्र बचा  ली है  मेरी जाँ तुमने 

अगर किसी ने यूँ दिल उसका भी पढ़ा होता
जो टूटा है वो सितारा चमक रहा होता 

ये सुन के उसको गले से लगा लिया मैंने
पुकार लेना तुम्हें  ग़म हो जब कहा मैंने 

ये कह के उसको दुबारा से मैंने देखा जब
उदास तारा चमकने लगा था फिर से अब 

उदास तारा चमकने लगा......

मौलिक अप्रकाशित 

(अनीस अरमान )

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Md. Anis arman on August 15, 2021 at 8:46pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहब नज़्म तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2021 at 5:40am

आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन। अच्छी नज्म हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Md. Anis arman on August 2, 2021 at 12:35pm

जनाब अमीरुद्दीन अमीर साहब नज़्म तक आने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, ममनून हूँ 

Comment by Md. Anis arman on August 2, 2021 at 12:34pm

जनाब समर कबीर साहब नज़्म तक आने और प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, आपकी इनायत है 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 1, 2021 at 11:14pm

बहुत ख़ूब! जनाब अनीस अरमान साहिब आदाब, उम्दा नज़्म कही आपने, मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by Samar kabeer on July 31, 2021 at 6:51pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, अच्छी नज़्म लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service