For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: जैसे जैसे ही ग़ज़ल रुदाद ए कहानी पड़ेगी

2122 1122 2112 2122

जैसे जैसे ही ग़ज़ल रूदाद ए कहानी पड़ेगी

वैसे वैसे ही सनम दिल की फज़ा धानी पड़ेगी

रश्म हर दिल को महब्बत में ये उठानी पड़ेगी

दिल जलाकर भी कसम दिल से ही निभानी पड़ेगी

ख़ुश न होकर भी ख़ुशी दिल में है दिखानी पड़ेगी

कुछ न कहकर भी रज़ा दिल की यूँ सुनानी पड़ेगी

हुस्न वालो की सुनो ना ख़ुद पे भी इतना इतराओ

लम्हा दर लम्हा महंगी तुम्हें न'दानी पड़ेगी

मेरे हालात पे हँस कर भी न मिरा दिल जलाओ

ज़ख़्म दर ज़ख़्म ही घिस जाओगे प'रेशानी पड़ेगी

राह में तुम जो किसी मंज़िल की यूँ बोते हो कांटे

होश उड़ जायेगें कीमत जो ये चुकानी पड़ेगी

हाल ए दिल भी तो बड़ा नाज़ुक है बड़ा नाज़ुक ओ रब

सब को ही चारा गरी' दिल की याँ करानी पड़ेगी

मजहबी रंग में ढालो ना यूँ महब्बत को लोगो

बाद हम सबके नई पीढ़ी ये कहानी पड़ेगी

तर्ज़ दर तर्ज़ निखर जायेगी ग़ज़ल कोई "आज़ी"

लफ़्ज़ दर लफ़्ज़ गर अल्फाज़ों में रवानी पड़ेगी

(मौलिक व अप्रकाशित) 

आज़ी तमाम

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on April 25, 2021 at 9:08am

सादर प्रणाम आदरणीय धामी सर

सहृदय शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिये

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2021 at 7:32am

आ. भाई आज़ी तमाम जी, प्रयास के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Aazi Tamaam on April 16, 2021 at 11:37am

सहृदय शुक्रिया आदरणीय ब्रज जी

हौसला अफ़ज़ाई के लिये दिल से आभार

सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 16, 2021 at 9:05am

अच्छी लगीं आपकी कोशिशें भाई तमाम जी...बाकी इस्लाह तो गुणीजन ही कर सकते हैं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं समस्त ओबीओ परिवार को। प्रयासरत हैं लेखन और सहभागिता हेतु।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

नवगीत : सूर्य के दस्तक लगाना // सौरभ

सूर्य के दस्तक लगाना देखना सोया हुआ है व्यक्त होने की जगह क्यों शब्द लुंठित जिस समय जग अर्थ ’नव’…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday

© 2026   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service