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2 लघु रचनाएँ : इंतज़ार

2 लघु रचनाएँ : इंतज़ार
1.
कितने अज़ाब हैं
उल्फ़त के सफ़हात में
मिलता नहीं
क्यूँ चैन
फाड़ के भी
इंतज़ार के सफ़हात को

..................................
2
आंखें
कर बैठीं
इंतज़ार से
बग़ावत
अश्क
कर बैठे
चश्म से अदावत
उल्फत करती रही
इंतज़ार
ख़ारी लकीरों में

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 337

Comment

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Comment by Samar kabeer on March 20, 2019 at 3:29pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,दोनों रचनाएँ अच्छी हुईं,बधाई स्वीकार करें ।

"उल्फ़त के सफ्हों में 
मिलता नहीं 
क्यूँ चैन 
फाड़ के भी 
इंतज़ार के सफ्हों को"

इस रचना में 'सफ्हों' को "सफ़हात" कर लें ।

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