For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिशुन/चुगलखोर-एक भेदी

तरीफे उनकी क्यूँ लगती

जहर से भरी मीठी बातें

हर पिशुन/चुगलखोर की

झूठी बातें भी सच्ची लगती||

 

स्वार्थ की तह तक गिर

औछी हरकते करते रहते

भलाई का दामन औढकर  

सहकर्मियों की बुराई वो करते||

 

दूसरों के काम में टांग अड़ाना

आदतों में शुमार उनकी

सहकर्मियों को आपस में भिड़ाकर

फिर निश्छल होने का ढोंग रचाते||

 

लाभ ना हो जाए कहीं किसी को

बुगले के जैसा ध्यान लगाते

एडी चोटी का ज़ोर लगा

अडचने पैदा खूब कराते

 

आने-जाने और खाने-पीने पर भी

गिद्ध की तरह वो नजरे रखते

मौका मिले उन्हे जब कुछ कहने का

ना समय गवाए सभी का दोष बताते||

 

अपने पन का अहसास जता

वक़्त आने पर मुखर वो जाते

भावनाओ को ठेस पहुँचा

अपने किए ना पछताते

मन की बात को लेकर सारी अफसरो को सहकर्मियों की सारी बात बताते||

मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on December 10, 2019 at 4:48pm

भाई विजय निकोरे आपने मेरी रचना के अपना समय निकाला उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on November 30, 2019 at 9:19pm

अच्छे खयाल पिरोय हैं। बधाई, मित्र फूल सिंह जी।

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 8:32pm

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। पहले तो सृजन पर बधाई। मित्र इस रचना को अगर आप नवगीत, अतुकांत, या किसी मानक छंद (या कम से कम समान मात्रा भार) पर लिखते तो और बढ़िया लगता। कविताएं सपाटबयानी ठीक नहीं लगतीं।

Comment by PHOOL SINGH on November 25, 2019 at 4:18pm

कबीर साहब को मेरा कोटि कोटि धन्यवाद कि आप अपना थोड़ा मूल्यवान समय मेरी रचना को देते है 

Comment by Samar kabeer on November 25, 2019 at 2:38pm

जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service