For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी-साहित्य

साहित्य,

दर्पण सा मजबूर
इसका अपना कोई अक्स नहीं होता
रूप-रंग, वेष-भूषा, आकार-प्रकार
सब शून्यवत
अदृश्य आत्मा सा भाषा हीन
भावनाओं की आकृतियां अनुभव से सराबोर
आंसुओं में दर्द के बीज
संगठित मोतियों का वजूद
दफ्न हो जाते होंठो के कोर पर
संवेदनहीनता के मरूस्थल गढ़ते नई भाषा
साहित्य की आत्मा
पत्रकारिता की देह में ऐंठती मूॅछ
उगलती भाषाओं की जातियां, भ्रम....क्लीष्टतम रस
क्षेत्रीयता के कलश हवाओं में लटके
मुंह बन्द, गले में रस्सी....कहतीं
गोविन्दा आला रे...
पत्रकारिता,
भाषाओं के बन्धनों से मुक्त
आधुनिक परिधानों से सुसज्जित
आचार-विचारों व आर्द-भावों से सिक्त
अन्यान्य श्रृंगारों में उकेरती
मुख्य आवरण का चोखापन
अशिष्टता,
दर्पण को स्वयं परोसती.... शिष्टाचार
जन-मन आनन्द के भावातिरेक में जेंवते
कषाय व्यंजन......निपोरते बतीसी
जिभ्या कट जाती 
ईर्ष्र्या, द्वेष और अनाचार से
मूक दर्पण.....संकेतों में उघारते.......काली छाया
आत्मा की पुनरावृत्ति सींचती
साहित्य की अमिट आवृत्तियां
अक्षर-अक्षर प्रस्फुटित होकर प्रस्तुत करते
नववधू रूप!
दुर्भावनावश....
आज भी सशकित है.......!
साहित्य का भविष्य?

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 9:05am

आ0 सौरभ सर जी,  आपकी सहज एवम आत्मिक उपस्थिति,  कविता को गरिमा प्रदान कर रही है. आपके कथन से किंचित मात्र भी संदेह उत्पन्न नहीं होता है'. आपकी उदारता हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 8:56am

आ0 आशुतोष भाई जी, कविता के अनुमोदन एवम उसकी स्वीकारोक्ति हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 8:51am

आ0 श्याम नारायण भाईजी, कविता के अनुमोदन हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 8:50am

आ0 गोपाल भाई जी, कविता के अनुमोदन एवम उत्साह्वर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 8:47am

आ0 वामनकर जी, कविता पर आपका अनुमोदन मुझे एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है . आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 8:43am

आ0 शिखा जी, कविता पर आपका अनुमोदन मुझे एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहा है . आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार. सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2015 at 12:22pm

जिस सहित्य की दशा पर आप सशंकित हैं, उसकी दशा इस कविता के परिप्रेक्ष्य में कहीं उज्ज्वल दिखती है. यह सच ही नहीं सोरहो आने सच है.
बधाई भाई केवल प्रसाद जी.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 1, 2015 at 5:20pm

आदरणीय भाई केवल जी ..साहित्य के बारे में बड़ी सूक्ष्मता से चिंतन करने के बाद आपने जिस बिचार को इतने सरल रूप में पढने का सुअवसर प्रदान कराया उसके लिए आपको हार्दिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 1, 2015 at 12:12pm

वाह केवल जी

आज कल आप क्षिप्र धारा की तरह बह रहे है , बधाई हो , सादर. 

Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2015 at 4:14pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service