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ग़ज़ल :-गले प रख के वो तलवार बोले

बह्र :- मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन फ़ऊलुन

गले प रख के वो तलवार बोले
वही कहना जो ये सरकार बोले

हमें बर्बाद कर देगा तिरा सच
मिरी बस्ती के इज़्ज़तदार बोले

हमारा ख़ानदानी वस्फ़ है ये
हमेशा जानिब-ए-हक़दार बोले

कई नामों से हमको जानते हैं
कोई तूफ़ाँ,कोई मंझधार बोले

बुराई पीठ के पीछे करेगा
मिरे मुँह पर ज़रा इक बार बोले

है मुझ को आरज़ू उस हमसफ़र की
जो वीरानों को भी गुलज़ार बोले

क़ुसूर इन शाईरों का भी नहीं जी
वही देंगे जो ये बाज़ार बोले

"समर" तुम दुश्मनों पर टूट पड़ना
सिपह सालार जब यलग़ार बोले

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Nirmal Nadeem on May 14, 2015 at 11:40am
बहुत खूब जनाब क्या कहने। मुबारक हो। सलामत रहें।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 14, 2015 at 11:02am
हमें बर्बाद कर देगा तिरा सच
मिरी बस्ती के इज़्ज़तदार बोले॥
बड़ी जानदार ग़ज़ल हुई है, आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर , सादर।

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