For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वह आकाश में परिंदे की तरह उड़ रही थी ।माँ निश्चिन्त थी की बेटी तरक्की कर रही और पिता आजादी दे समय से ताल मिला रहे थे।बेटी के सोने -जागने , आने जाने से किसी का कोई सरोकार नहीं था।

" पापा मेरी तबियत खराब हो गयी है ।"

मुँह अँधेरे होटल पंहुचे पिता अपनी पुत्री को अस्त व्यस्त और नशे में डूबी देख समझ चुके थे की क्या घट चुका है।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Archana Tripathi on April 27, 2015 at 10:48pm
आभारी हूँ ,आपकी मोहन सेठी 'इन्तजार'जी।आपके मार्गदर्शन की आकांशी
Comment by Archana Tripathi on April 27, 2015 at 10:42pm
शुक्रिया नेहा अग्रवाल जी
Comment by neha agarwal on April 27, 2015 at 3:29pm
वाह दी
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 27, 2015 at 6:43am

ये लघुकथा प्रशन उठाती है कि लड़कियों को आज़ादी देना क्या उचित है ....हर लड़की नासमझ होती नहीं है एवं आज़ादी और दायित्व freedom and responsibility दोनों की शिक्षा जरूर माता पिता की जुम्मेवारी है  .....लघुकथा के लिये बधाई 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 26, 2015 at 4:20pm

सभी चीज का एक स्याह पहलू भी होता है! एक हद के अन्दर ही सभी चीज अच्छी लगती हैं,आजादी भी!

सुन्दर लघुकथा पर बधाई आ० अर्चना जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 9:18am

आज़ादी की कीमत बहुधा एक महिला को ही चुकानी पड़ती है बहुत संवेदनशील लघुकथा है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by aman kumar on April 25, 2015 at 1:58pm

आम तौर परआजकल के बच्चे स्वम ही स्थिति संभालते है , और आजाद .... ख्याल पिता खुद नही , उनके नौकर जाते है होटल मे ..

और जो घट जाने" का संदेश है वो तो आजकल संदर्भ खो चुका है , वो एक सिगरेट पीना जैसा ही है उस सोसाइटी मे ,

परंतु हमारे लिए कथा का महत्व बहुत है ! अभी भी ..... जय हो  

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 24, 2015 at 6:54pm
कुछ प्रश्न उठा ( पूछ ) रही है यह लघु-कथा।
हाँ , नौकरी कर रहे बच्चों को सीख देने की अवधि निकल चुकी होती है, उत्तरदाईत्व स्वयं समझने की उम्र आ चुकी होती है।
स्वतंत्रता का उपभोग कैसे करें यह स्वयं सोचना , निर्धारित करना पड़ता है। उम्र की कुछ अवस्थाओं में संतुलन जल्दी बिगड़ता है. .
चेतना जागृति करती है यह कथा।
बधाई। सादर।
Comment by Nidhi Agrawal on April 24, 2015 at 5:46pm

बहुत सटीक और धारदार लघुकथा हुई.. माँ बाप जब अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते यही होता है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 24, 2015 at 4:52pm

आदरणीया अर्चना जी अच्छी लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
16 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service