For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूस्खलन इंसानियत का (लघुकथा)

लगातार हो रही वर्षा के पश्चात पुनः विद्यालय सुचारू रूप से चलना शुरू ही हुआ था कि चीख-पुकार मच गयी सभी अपनी -अपनी जान बचाकर भाग रहे थे।नया विवादित भवन पहली ही बरसात में विद्यार्थी और शिक्षकों की कब्र में परिवर्तित हो गया ।अधिकारीयों का तांता लगा रहा तत्काल प्रभाव से भेजी गयी रिपोर्ट में भवन का खण्डहर होने का कारण -
" अत्यधिक वर्षा से भूस्खलन " था।

और ठेकेदार की बहुमंजिली कोठी बरसते सावन में घी के दीयों से जगमगा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on July 16, 2015 at 1:35am
बेहद सुन्दर रचना ....बधाई
Comment by Archana Tripathi on July 16, 2015 at 1:31am
शुक्रिया कांता जी यह सब आप सभी मित्रों के उत्साहवर्धन का परिणाम हैं । हार्दिक आभार।
Comment by Archana Tripathi on July 16, 2015 at 1:30am
शुक्रिया डॉ.विजय शंकर जी ,आपने रचना को इतना समय दिया और समीक्षात्मक टिप्पणी से उत्साहवर्धन किया पुनः हार्दिक आभार ।आपसे भविष्य में भी मार्गदर्शन की अपेक्षा करती हूँ ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 15, 2015 at 6:35pm
हमारे यहां बनानेवाले जो बनाते हैं वह बने या न बने वह खुद जरूर बन जातेहैं , और बहुत अच्छे बनते हैं, हम अंधे बने रहते हैं,हमें टूटी सड़कें, इमारतें , सड़कों के गढ्ढे दिखते हैं, हमारी कार स्कूटर खराब होते हैं ,हम परेशान होते हैं पर निर्माण से जुड़े धन्धेवालों के जगमगाते भवनों पर हम कभी प्रश्न नहीं उठाते।बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने अपनी लघु- कथा में, आदरणीय सुश्री अर्चना त्रिपाठी जी, बधाई, सादर।
Comment by kanta roy on July 15, 2015 at 5:51pm
वाह !!! क्या खूब कटाक्ष किया है आपने घी के दिये जलाकर ....... बधाई आदरणीया अर्चना जी इस सुंदर और सार्थक लघुकथा के लिए ।
Comment by Archana Tripathi on July 15, 2015 at 12:23am
आदरणीय विनय कुमार जी ,उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद
Comment by Archana Tripathi on July 15, 2015 at 12:20am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ,मुझ नवांगतुक का उत्साहवर्धन हेतु आभारी हूँ ।
Comment by Archana Tripathi on July 15, 2015 at 12:18am
आ pradeep kumar kushwaha जी।इस मंच पर उत्साहवर्धन के लिए आभारी हूँ । भृ
Comment by विनय कुमार on July 14, 2015 at 6:52pm

बहुत बेहतरीन लघुकथा आदरणीया अर्चना त्रिपाठीजी | व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को बखूबी दर्शाती रचना , बधाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 14, 2015 at 1:29pm

आदरणीया अर्चना जी बहुत अच्छी लघुकथा हुई है, आपने व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को बड़ी संजीदगी से शाब्दिक किया है.  इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service