For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - गज़ब का छा रहा हूँ मैं (मिथिलेश वामनकर)

1222---1222---1222---1222

 

ग़ज़ल से पा रहा हूँ मैं, ग़ज़ल ही गा रहा हूँ मैं

ग़ज़ल के सर नहीं बैठा, ग़ज़ल के पा रहा हूँ मैं

 

किसी की नीमकश आँखों का तारा हूँ जमानों से

नयन से गीत सा उतरा, गुहर बन गा रहा हूँ मैं

 

यकीं नासेह पर मत कर, भरोसे का नहीं रहबर

मगर कब मानता है दिल, कसम फिर खा रहा हूँ मैं

 

तुम्हारी आरज़ू हूँ मैं, तमन्ना तुम मेरे दिल की

दुआ बन के रही हो तुम, अकीदत सा रहा हूँ मैं

 

जिधर दुनिया हकीक़त की, रवानी है तबीयत की 

पकड़ कर हाथ जीवन का, उधर ही जा रहा हूँ मैं

 

सितारों से भरी इक रात में जो ख्वाब देखा है

फ़क़त उस ख्वाब में तुम हो नुमायाँ या रहा हूँ मैं

 

भुलावा जिंदगी को दे रहा हूँ बस यही कहकर

ज़रा सा जिंदगी ठहरों कि खुशियाँ ला रहा हूँ मैं

 

खयालों ने पसारे पाँव क्यूं औकात से ज्यादा

धुआँ बन के नजारों पर गज़ब का छा रहा हूँ मैं

 

सभी ने लाख समझाया, मुहब्बत रोग है दिल का

निहायत नातवाँ दिल पर, कहर खुद ढा रहा हूँ मैं

 

मुक़र्रर मत कहो गज़लें, उठी बेज़ार दिल से जो

ग़मों को अलविदा मेरा, जहां से जा रहा हूँ मैं

 

अरुज़ी भी नहीं कोई, न शायर हूँ कलामों का

ग़ज़ल आवाज़ देती है, तो कहता- “आ रहा हूँ मैं”

 

-------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:54am
आदरणीय नज़ील जी हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:53am
आदरणीय गुमनाम सर हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 17, 2015 at 10:52am

वाह वा ! आ. मिथिलेश भाई , क्या कमाल की ग़ज़ल कही है , बस मज़ा आ गया पढ के ।

अरुज़ी भी नहीं कोई, न शायर हूँ कलामों का

ग़ज़ल आवाज़ देती है, तो कहता- “आ रहा हूँ मैं”  -- लाजवाब !! हार्दिक बधाइयाँ ।

तमन्ना तुम मेरे दिल की, तुम्हारी आरज़ू मैं ही   ---   तुम्हारी  आरजू हूँ मैं , तमन्ना तुम मेरे दिल की

दुआ बन के चली जो तुम, अकीदत सा रहा हूँ मैं  -----  दुआ बन के रही हो तुम , अक़ीदत सा रहा हूँ मैं

अगर अच्छा लगे तो , ऐसा कर सकते हैं ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:52am
आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर आपके स्नेह और सराहना से सदैव मनोबल बढ़ता है। हार्दिक आभार। नमन।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:51am
आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:49am
आदरणीय महर्षि भाई जी हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:48am
आदरणीय निर्मल नदीम जी हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:48am
आदरणीय दिनेश भाई जी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:47am
आदरणीय श्याम नरेन् वर्मा जी हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:46am
आदरणीय विजय शंकर सर सराहना के लिए हार्दिक आभार। नमन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service