For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" क्या हुआ सलीम साहब , चेहरा इतना उतरा हुआ क्यूँ है ? कहीं फिर इस बार टिकट का मसला तो नहीं फंस गया "|
" नहीं , कुछ नहीं , बस यूँ ही तबीयत कुछ नासाज़ लग रही है "| टाल तो दिया उन्होंने लेकिन अंदर ही अंदर कुछ खाए जा रहा था | पिछली बार भी यही हुआ था , आखिरी समय तक आश्वासन मिलता रहा था कि सीट आपकी पक्की है , इस बार भी उम्मीद नहीं दिख रही |
अगले दिन उन्होंने अख़बारों में खबर छपवा दी " सलीम साहब ने अपनी पार्टी का टिकट ठुकराया "| शाम तक उनको दूसरी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 28, 2015 at 11:06am

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय जी..

Comment by विनय कुमार on January 28, 2015 at 11:05am

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी..

Comment by विनय कुमार on January 28, 2015 at 11:05am

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी..

Comment by विनय कुमार on January 28, 2015 at 11:03am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी ..

Comment by vijay on January 28, 2015 at 9:52am
वाह वाह क्या बात है
Comment by Hari Prakash Dubey on January 28, 2015 at 9:20am

आदरणीय विनय जी हार्दिक  बधाई  इस लघुकथा पर !

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 28, 2015 at 2:14am
अंगूर पहुंच के बाहर थे , खट्टे बता दिए ,
रसभरी का टोकरा लिए दूसरे खड़े मिले ॥
बधाई , आदरणीय विनय जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 28, 2015 at 1:43am

हा हा हा.... जोरदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. अच्छी खबर ली आपने दल-बदलुओं की इस लघुकथा के माध्यम से.

Comment by somesh kumar on January 27, 2015 at 10:59pm

यही है दल-बदलुओं का दाँव-पेंच |सम-सामयिक विषय पर सुंदर प्रस्तुति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service