थकन से चूर होकर , गिरे तो सो गये हम
जो चलते चलते गाफ़िल , हुये तो सो गये हम
हमारी भूख का क्या , हमारी प्यास का क्या
ये अहसासात दिल में , जगे तो सो गये हम
शनासा भी न कोई , तो अपना भी न कोई
अकेले थे अकेले , रहे तो सो गये हम
हमारी नींद सपने , सजाती ही नहीं है
हक़ीक़त से जहाँ की , डरे तो सो गये हम
मनाओ शुक्र तुम हो , गमों से दूर साथी
हमें तुम मुस्कुराते , मिले तो सो गये हम
हमारा दर्द भी क्या , हमारे ज़ख्म भी क्या
जो रोते रोते आँसू , थमे तो सो गये हम
घरों में नींद आती , नहीं क्यूं खुशनसीबों
कहीं फुटपाथ पर जा , पड़े तो सो गये हम
नहीं थकते कभी हम , करा लो काम भारी
अज़ीज़ों हाथ खाली , रहे तो सो गये हम
हमारी ज़िंदगी क्या , हमारी मौत भी क्या
जगे तो डर कज़ा का , मरे तो सो गये हम
हमारी पीठ पर दिन , हमारे पेट पर रात
कभी ये चाँद सूरज , थके तो सो गये हम
हमेशा ठोकरों में , रहे बेदर्द तेरी
ज़माने पाँव तेरे , थके तो सो गये हम
ग़मों ने जब सताया , बने हमदर्द ख़ुद ही
न कह पाये किसी से , गिले तो सो गये हम
शजर कोई नहीं , हमारी रहगुजर में
सितम ‘खुरशीद’ तेरे , सहे तो सो गये हम
मौलिक व अप्रकाशित
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नहीं थकते कभी हम , करा लो काम भारी
अज़ीज़ों हाथ खाली , रहे तो सो गये हम
हमारी ज़िंदगी क्या , हमारी मौत भी क्या
जगे तो डर कज़ा का , मरे तो सो गये हम
हमारी पीठ पर दिन , हमारे पेट पर रात
कभी ये चाँद सूरज , थके तो सो गये हम.... दिल को िझिझोंर कर ऱख देनेवाले ,,,अशआर...
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