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स्वागत नववर्ष : दोहे

चौदह अब इतिहास है, पंद्रह से है आस.
समय सलौना कब रुका, क्षण भर अपने पास.
 
पल बीता तो कल हुआ, कल बीता तो मास.
पल पल गुजरे साल के, हर पल कल की आस,
 
खुशियाँ कितनी दे गया, गुजर गया जो साल.
जाते जाते कर गया, धरती को कुछ लाल.
 
बाँट रही खुशियाँ किरण, स्वागत है नववर्ष.
समय देव के नेह से, भर भर झोली हर्ष.
 
कल तक जो जन साथ थे, आज नहीं कुछ साथ.
परिवर्तन के दौर में, अपने खींचे हाथ.
 
काल चक्र चलता रहे, निशि दिन आठों याम.
सूर्य चन्द्रमा चल रहे, रुकने का क्या काम.
 
चलते रहना जिन्दगी, रुक जाना है मौत,
एक साथ रहती नहीं, मौत जिन्दगी सौत.
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:20pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार..सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:18pm

आदरणीय vijay nikore जी आपकी स्नेहिल संस्तुति हेतु हार्दिक आभार...सादर 

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:17pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी आपके शुभाकांक्षित दोहों का स्वागत , स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार...सादर.

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:06pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी आप जैसे कुशल नेतृत्व में छंद विधा का एक अंश कुशलता से निर्वहन हो सका ..अत्यंत आभार आप जैसे मार्गदर्शक अवश्य महती भूमिका का निर्वहन कर प्रोत्साहित भी कर रहे हैं..सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 23, 2014 at 8:26pm
काल चक्र चलता रहे, निशि दिन आठों याम.
सूर्य चन्द्रमा चल रहे, रुकने का क्या काम.
 
चलते रहना जिन्दगी, रुक जाना है मौत,
एक साथ रहती नहीं, मौत जिन्दगी सौत.
बड़े ही सुन्दर दोहे रचे हैं आदरणीय श्री हरिवल्लभ शर्मा जी 
Comment by vijay nikore on December 23, 2014 at 3:49pm

बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 23, 2014 at 1:29pm

सुंदर दोहे रचे  है | हार्दिक  बधाई  श्री  हरी वल्लभ शर्मा जी -

नए वर्ष का आगमन, खुशिया मिले हजार, 

सबको दे शुभ कामना, दूर करे अँधियार |

सुंदर दोहे कर रहे, स्वागत हे नव वर्ष 

अच्छे दिन आये तभी, जीवन में उत्कर्ष |  -लक्ष्मण रामानुज 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2014 at 1:13am

आदरणीय हरि भाईजी,  आपकी व्यवस्थित छन्द प्रस्तुति आश्वस्त कर रही है. आपने विधा और उसकी महीनी को संभवतः गहरे से समझा है. दोहों का कथ्य भी आश्वस्त करता हुआ है.
हृदय से बधाई, आदरणीय, तथा शुभकामनाएँ.

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 12:20am

आदरणीय somesh kumar जी आपने जिस दोहा से तारीफ़ की आपकी प्रसंशा को नमन..हौसला बढ़ाते रहें, सादर आभार.

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 12:18am

आदरणीय शिज्जू "शकूर" साहब आपकी मुक्त कंठ प्रसंशा से दोहे सार्थक हुए...उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार ..सादर.

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