For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवैया(मत्तगयन्द )

चाल बड़ी मनमोहक लागत, खेलत खात फिरै इतरावै !

लाल कपोल लगे उसके अरु ,होंठ कली जइसे मुसकावै !!

भाग रहा नवनीत लिये जब, मात पुकारत पास बुलावै !

नेह भरे अपने कर से फिर ,लाल दुलारत जात खिलावै !!

****************************************************** 

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 11, 2013 at 10:07pm

बहुत  बहुत  आभार  भाई  रमेश  जी  । सादर 

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 11, 2013 at 9:11pm

बहुत ही सुंदर आदरणीय बधाई

Comment by ram shiromani pathak on November 11, 2013 at 5:39pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी .... सादर

Comment by vijay nikore on November 11, 2013 at 10:27am

शिशु कृष्ण जी की और माँ यशोदा जी की याद आ गई आपकी रचना को पढ़कर। बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 10:07pm

अनुमोदन  हेतु बहुत बहुत आदरणीय सौरभ जी,कुछ और सुधर करके आपको मेसेज करता हूँ कृपा कर मार्गदर्शन  करियेगा ...सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 10:02pm

उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आदरणीया राजेश कुमारी   जी...सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 10:00pm

उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आदरणीया अन्नपूर्णा  जी...…सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 9:59pm

उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आदरणीय गिरिराज जी...…सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 10, 2013 at 9:56pm

यह सवैया छंद प्रयास के लिहाज से उचित है.

दूसरे पद को तनिक और समृद्ध ही नहीं पुष्ट भी किया जा सकता था. तुक पर विशेष ध्यान रखें.

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 10, 2013 at 9:25pm

मनमोहक मत्तगयन्द सवैया ,बधाई राम शिरोमणि जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
16 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service