For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन गीत (राजेश कुमार झा)

सांवरी सुन सांवरी
आई मधुर मधुश्रावणी

नभ मीत हृद पर दामिनी
नव ताल से इठला रही
या दिगंबर को उमा
अपनी झलक दिखला रही

सुन सौरभे, हर-गौर, वे
आए स्‍वयं भव-भामिनी

सांवरी.....................

बावरा बादल मचलता
ढूंढता जिस मीत को

नेह सिंचित दश दिशाएं

लिख रही उसी गीत को

सुन वल्‍लभे, मुग्‍धे सुहासित
त्रिभुवन पगी विरूदावली

सांवरी....................

तरू-ताल लकदक , भींगते
सारी धरा अम्‍लान है

निर्जला व्रत देह सा ही
दिनमणि का ध्‍यान है

जटाजूट बंकिम इन्‍दु, गंगे
रच रही चूड़ामणि

सांवरी...............

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 932

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 13, 2013 at 10:07am

आदरणीय राजेशा भाई जी गीत ने मन मोह लिया बेहद सुन्दर सुमधुर मनोहारी गीत रचा है आपने हार्दिक बधाई इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर.

Comment by कल्पना रामानी on August 13, 2013 at 9:21am

सुमधुर सावन गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई राजेश जी।

सादर

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on August 13, 2013 at 8:51am

सावन का इतना मनमोहक वृत्तांत .. बहुत खूबसूरत रचना 

Comment by vijay nikore on August 13, 2013 at 6:19am

आदरणीय राजेश जी:

इस मधुर गीत के लिए साधुवाद।

सादर,

विजय निकोर

Comment by annapurna bajpai on August 12, 2013 at 10:56pm

आ० राजेश जी भावपूर्ण सुंदर गीत हेतु बधाई ।

Comment by shubhra sharma on August 12, 2013 at 10:49pm

आदरणीय राजेश जी ,अलंकृत शब्दों से सुसज्जित सावन गीत  के लिए  हार्दिक बधाई 

Comment by D P Mathur on August 12, 2013 at 9:55pm

अति सुन्दर गीत , बधाई  !

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 12, 2013 at 9:05pm

आ0 राजेश भाई जी, वाह! वाह! //सुन वल्‍लभे, मुग्‍धे सुहासित, त्रिभुवन पगी विरूदावली//
बहुत ही सुन्दर लयबध्य सावन गीत। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 12, 2013 at 6:21pm

बावरा बादल मचलता, ढूंढता जिस मीत को

नेह सिंचित दश दिशाएं, लिख रही उसी गीत को

सुन वल्‍लभे, मुग्‍धे सुहासित,त्रिभुवन पगी विरूदावली

सांवरी सुन सांवरी, आई मधुर मधुश्रावणी---------------- सवान का मधुर गीत ! बहुत सुन्दर | हार्दिक बधाई श्री राजेश कुमार झा साहब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service