For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित दोहे

वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.

हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..

 

नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.  

कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..

 

जैविक खेती है भली, धरती हो आबाद. 

गोबर को अपनाइए, बचे रसायन खाद..

 

अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.

छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल..

 

इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.

पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट..

 

कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.

पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..

 

दूध पिलाते जो हमें, वही बने आहार.

इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..

--अम्बरीष श्रीवास्तव  

Views: 13264

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 28, 2012 at 11:17am

आदरणीय अम्बरीश जी 

पर्यावरण संरक्षण को समर्पित इस खूबसूरत दोहावली के लिए हृदय से साधुवाद. सादर.
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 12:14pm

स्वागत है अनुज अरुण शर्मा जी ! हार्दिक आभार मित्र ! सस्नेह

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 12:04pm

भ्राताश्री कितनी खूबसूरती से आपने वर्णन किया है. वाह मज़ा आ गया. बधाई

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 11:31am

प्रिय आशीष जी, इन दोहों के मर्म को समझने के लिए आपका स्वागत हारते हुए आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ....सस्नेह

Comment by आशीष यादव on July 27, 2012 at 11:21am

आदरणीय अम्बरीश सर, दोहों के माध्यम से वृक्ष की महिमा का गुण-गान काफी सुखद अनुभूति प्रदान करता है। वृक्ष की कमी से उत्पन्न खतरों को भी उजागर किया आपने।
बधाई स्वीकार करें गुरुवर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 11:20am

आदरेया राजेश कुमारी जी ! इसमें क्षमा मांगने जैसी क्या बात है ? आपने इन दोहों को सराह कर एक तरह से पर्यावरण संरक्षण में सहभागिता ही की है!  आपका हार्दिक आभार आदरेया राजेश कुमारी जी ! सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2012 at 11:05am

क्षमा चाहती हूँ पढने में देरी हो गई ....बहुत ही शिक्षाप्रद उत्कृष्ठ दोहे अति सुन्दर हार्दिक बधाई आपको अम्बरीश जी 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:47am

सुप्रभात आदरणीय अशोक कुमार जी, आपने इन सभी दोहों के मर्म को महसूस करते हुए जो इन्हें सराहा है इस निमित्त आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ .....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:45am

जय श्री राधे आदरणीय 'भ्रमर' जी, यह सन्देश जब हमारे मर्मस्थल को स्पर्श करेंगें तो इसका परिणाम अवश्य ही परिलक्षित होगा ...दोहों को सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ......सादर 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 8:43am

स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपने इन दोहों के मर्म को समझते हुए इनकी सराहना की है .....इस हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित कर रहा हूँ ...... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service