मंजिले  ऊँची  बनाना  आज  की  तामीर  है , 
 इस  सदी  की  दोस्तों  कितनी  अजब  तस्वीर  है ... 
 
 ये  है  कंप्यूटर  सदी  यानि  ज़माना  है  नया , 
 कितनी  आसानी  से  बदली   जा  रही  तस्वीर  है ... 
 
 क्या  कटेगी  ज़िन्दगी  अपनों  की  मोबाईल  बगैर , 
 ये  हमारे  दौर  की  मुंह   बोलती  तस्वीर  है ... 
 
 क्या  भला  है , क्या  बुरा  है  ये  कोई  सोचे  ज़रा , 
 किस  क़दर  बे -पर्दगी  में  आज  की  तस्वीर  है ... 
 
 अपनी  मेहनत   का  नतीजा   देख  ले   "रिजवान " तू , 
 हर  तरफ  शोहरत  तेरी  ए-दोस्त  आलमगीर  है ...
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