For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यही है ख़ुदाई उसकी, छोटी सी ये इल्तजा,
जो कभी की थी उससे, पूरी वो न कर सका;

तेरे मेरे बीच हैं अब, मीलों के फ़ासले
कभी सामने थे तुम, आज हो गए परे

तेरे मेरे बीच हैं…

एक वो भी लम्हा था, तुम थे मेरे रूबरू,
दीद भी हुआ नायाब, ढूँढता हूँ चार सू;
फिर भी एक यक़ीं सा है, ज़िंदगी अजीब है
दूर हो के भी तू मुझसे, और भी क़रीब है

तेरे मेरे बीच हैं…

अब नहीं है कोई हसरत, और कुछ न है चाहत,
सफ़रे आख़िरत से भी, मिलेगी नहीं राहत;
चंद क़दमों की है दूरी, और है वही मजबूरी

इस जनम मुकम्मल न हो, अगले जनम होगी पूरी
तेरे मेरे बीच हैं..
.


http://www.youtube.com/watch?v=S77jz2KTgQo

(उपर्युक्त यू ट्यूब लिंक पर क्लिक कर के मेरी आवाज़ में इस गीत को अवश्य सुनें)

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:13pm

आनंद जी आपका आभारी हूँ|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:13pm

आपका हार्दिक आभार मीनू जी|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:12pm

वैचारिक समर्थन के लिए शुक्रिया आशुतोष जी |

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2012 at 9:12pm

सुन्दर भाव मधुर अभिव्यक्ति वाहिद जी हार्दिक बधाई इस रचना हेतु !!

Comment by minu jha on March 2, 2012 at 8:29pm

bahut sundar wahid bhai,aur obo ka pata batene

ke liye aapka hardik aabhar.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 7:21pm

धन्यवाद राकेश जी| सफ़रे आखिरत का अर्थ है मौत का सफ़र..

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 7:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय कुशवाहा जी

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 7:19pm

शुक्रिया आनंद भाई..

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 2, 2012 at 4:03pm

दूरियों का दर्द बयान करती कविता. आख़िरत का अर्थ?

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 2, 2012 at 3:40pm

अब नहीं है कोई हसरत, और कुछ न है चाहत,
सफ़रे आख़िरत से भी, मिलेगी नहीं राहत;
चंद क़दमों की है दूरी, और है वही मजबूरी

इस जनम मुकम्मल न हो, अगले जनम होगी पूरी

bahut sundar. badhai


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service