For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 न्याय के मंदिर की मेरी पहली परिक्रमा थी i कोर्ट के आदेश के अनुसार मुझे एक कर्मचारी की सैलरी कोर्ट में जमा करनी थी I मैं ठीक दस बजे चेक लेकर कोर्ट पहुंच गया I कैशियर साहब ग्यारह बजे आये और बोले –‘इसे स्टैंडिंग काउंसल से वेरीफाई करा के लाओ I’

स्टैंडिंग काउंसल ने डांट लगाई –‘हाउ यू डेयर कम डायरेक्टली टू मी I कम थ्रू माय आफिस I’  मैं आफिस गया I संबंधित बाबू सीट पर नहीं थे I वह एक घंटे बाद आये और आकर मोबाईल पर बतियाने लगे I दस मिनट बाद खाली हुए तो झुंझलाकर बोले- ‘क्या है ?

‘सर! यह चेक साहब से वेरीफाई कराना है i’

‘ठीक है, आप एक घंटे बाद आइये I‘ 

मैं एक घंटे बाद पहुँचा, तो बाबू जी बोले –‘डोंट माईंड, ज़रा लंच कर लूं I’

लंच करने के बाद वे चाय पीने चले गये I चाय पीकर आये तो बोले- ‘आप थोड़ा रुकिये, साहब ने डिक्टेशन के लिए बुलाया है I’

एक घंटे बाद पुन: प्रकट हुए, बोले –‘दो मिनट रुकिये कुछ फाइलें कल की है उन पर साहब के साईन करवा लूं I वरना साहब चले जायेंगे I’

मेरे काटो तो खून नहीं I मैं घबराकर बोला –‘साहब चले जायेंगे, तो मेरा काम कैसे होगा ?

बाबू जी ने मुझे यूं घूर के देखा, मानो कोई अजूबा देख रहे हों, फिर कुढ़ कर बोले –‘कोर्ट में पहली बार आये हो ? प्रोसीजर तक मालूम नहीं ? मुंह उठाये चले आते है –I’-

बाबू जी फाईल लेकर चले गए I लौट कर आये तो पौने पांच बज चुके थे I आते ही बोले –‘आप अपना ड्राफ्ट मुझे दे दीजिये I मैं फाइल चला दूंगा I’

मैंने उन्हें ड्राफ्ट दे दिया –‘बाबू जी इसकी रिसीप्ट दे दीजिये i’

बाबू जी ने मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरा –‘अजीब अहमक आदमी हैं, आप I रिसीप्ट लेना है, तो डाक में दो I जब मुझे मार्क होकर मिलेगी तब मैं देखूंगा और हाँ इसके साथ अपने अधिकारी की ओर से एक एप्लीकेशन लगाइए कि इसका वेरिफिकेशन क्यों चाहिए?’

मैं मायूस हो गया I अब कल पहले दफ्तर जाना होगा I फिर --- I मैं लौटने वाला ही था कि  कि मेरी नजर एक परिचित पर पड़ी I वह मेरे विभाग में ही था और कोर्ट केस देखता था I मैंने उसे रोककर अपनी सारी परेशानी बताई I मेरी हालत देखकर वह धीरे से हँसा और बोला – ‘वह ड्राफ्ट कहाँ है ?’

मैंने उसे ड्राफ्ट दिखाया i उसने ड्राफ्ट ले लिया और बोला –‘क्या पचास रूपये टूटे होंगे ?’

मैंने उसे रूपये दिए I वह थोड़ी देर में आने का आश्वासन देकर चला गया I दस मिनट बाद वह फिर प्रकट हुआ I उसके चेहरे पर सफलता की मुस्कान थी -‘ले यार तेरा काम तो हो गया i नाहक परेशान था I ’

मैंने चकराकर पूछा– ‘मगर यह हुआ कैसे ?’

वह फिर मुस्कराया – ‘अभी बच्चा है तू I मैंने साहब के अर्दली को पचास रूपये पकडाये और उसने फ़ौरन वेरीफाई करा के दे दिया I बस I’

(मौलिक /अप्रकाशित )

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 13, 2019 at 4:04pm

जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on February 12, 2019 at 8:20pm

वाह आदरणीय गोपाल जी बहुत ही मार्के की लघु कथा का सृजन किया है आपने सर। एक यथार्थ को उजागर करती इस प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई। यही सब तो हो रहा है आजकल। घास दिखाते जाओ काम कराते जाओ। अति सुंदर।

Comment by Surkhab Bashar on February 12, 2019 at 7:57pm

आ. डॉ.  गोपाल  नारायन श्रीवास्तव जी 

बहुत सुंदर ढंग से लघू कथा लिखी है ऐसा हर   दफ्तर मे अमूमन होता ही है वाह वाह वाह वाह वाह 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on February 12, 2019 at 1:50pm
जी, ऐसा ही होता है। बिल्कुल सत्य कथा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेन्द्र जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है। शेष तिलकराज जी ने विस्तृत तौर पर बता दिया है। मेरी…"
11 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय सुरेन्द्र जी, पोस्ट पर आने व सुझाव देने के लिए हार्दिक आभार।"
24 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय आज़ी भाई जी हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।। सादर जी।"
25 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और ग़ज़ल को इतना समय देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
26 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें जी। तक़रार इस्त्रिलिंग है…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ बधाई स्वीकार करें जी। दिल में…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय निलेश "नूर" जी, आप लाजवाब ग़ज़ल लिखते है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तमाम आज़ी जी, उम्दा ग़ज़ल है आपकी। बधाई स्वीकार करें। आदरणीय तिलकराज जी के सुझावों से ये और…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल — 221 1221 1221 122 है प्यार अगर मुझसे निभाने के लिए आकुछ और नहीं मुखड़ा दिखाने के लिए…"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service