For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल नंबर-2

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

आज तारीफ़ें मिरी उनकी ज़बानी हो गईं
हासिदों की देख शकलें ज़ाफ़रानी हो गईं

उनके रुख़सारों की गर्मी अलअमाँ सद अलअमाँ
सब चटानें बर्फ़ की यकलख़्त पानी हो गईं

आज हैं मासूम सीता की तरह ये रावणों
क्या करोगे लड़कियाँ गर ये भवानी हो गईं

देखते थे कल हिक़ारत से हमें वो देख लें
किस क़दर नस्लें हमारी आज ज्ञानी हो गईं

मैं तो हूँ ख़ामोश लेकिन लोग कहते हैं "समर"
तेरी ग़ज़लें एह्ल-ए-दिल की तर्जुमानी हो गईं

________

हासिदों :- जलने वाले
यकलख़्त :- फ़ौरन
अलअमाँ :- पनाह बख़ुदा
सद :- सौ बार

--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1195

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2017 at 8:23pm
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है मोहतरम जनाब समर साहिब रावण और भवानी वाले शेर का क्या कहना, मुश्किल ज़मीन पर आपने तीसरी ग़ज़ल कह दी, यही आपको ओबीओ में विशिष्टता प्रदान करता है
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 7:39pm
//मेरे लिये आप काफी हैं//
बहुत बहुत धन्यवाद,इस सम्मान के लिये ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 6:09pm

/.( मेरे लिये आप काफी हैं ) /  आ. समर भाई , इसके बाद और कुछ रह जाता है क्या.. ? आपने कहा मैने माना ... बाक़ी बातें मैने उदाहरण के लिये कहीं ... कि मै इन उदाहरनों को नही मानता .. और आप जानते हैं मै क्यों नही मानता । क्या आप ये चाहतेगें कि मै भी गलत काफियाबन्दी कर के उदाहरण पेश कर दूँ ? मै जानता हूँ आप नही चाहेंगे । मै फिर कहता हूँ - .( मेरे लिये आप काफी हैं )

Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 5:57pm
मैं किसी भी शब्द का प्रयोग दूसरों को देख कर नहीं करता,जब तक शब्कोष उसे सही न बताये,फिरोज़ुललुग़ात में पहले शब्द 'चटान'है और बाद में 'चट्टान'लिखा है,आप कहेंगे तो उस पेज की तस्वीर यहाँ दे सकता हूँ,उदाहरण में शैर पेश करना कोई बुरी बात तो नहीं,हाँ अगर किसी ने ग़लत शब्द लिया हो तो दूसरी बात है,लेकिन 'चटान'और 'चट्टान'दोनों सो फ़ीसदी सही है ।
जब आप मेरी बात को इतना सम्मान देते हैं तो भरोसा कीजिये,मैंने कोई गलत शब्द न तो इस्तेमाल किया है और न कभी करूँगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 5:37pm

आदरणीय समर भाई , मै व्यक्तिगत तौर पर तमाम शुअरा के शेर  के उदाहरण देने को सही नही मानता , चाहे वो शायर कोई भी हो , जितना पढ़ता जाता हूँ .. यही साबित होता जा रहा है ..कि सभी ने कभी न कभी अपने किसी शेर को बचाने के लिये अल्फाज़ से छेड़खानी की है । हाँ मै किसी को उन गलतियों को दुहराने से रोकता नही ... न ही रोक सकने की मेरी क़ुव्वत है । मै लुगाद मे लिखे को ही सच मानता हूँ ।

मैने केवल चटान पर शंका ज़ाहिर की थी .. कोई दावा नही किया था ... और वो भी इसलिये कि .. मद्दाह साहिब की लुगाद मे न तो चटान है और न चट्टान ... शायद आपकी फिरोज़ुल लुगाद मे हो । इसलिये मैने चट्टान को हिन्दी शब्द समझा ,और माना । ...  और हिन्दी मे मैने हमेशा चट्टान ही लिखा देखा ।

अदब के प्रति आपकी इमानदारी से कौन परिचित नही है ... आप कह रहे हैं तो चटान सही होगा ... किसी शेर के उदाहरण से आपकी बात कमज़ोर ही होगी . मेरी नज़र में .( मेरे लिये आप काफी हैं )

Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 3:26pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,'चटान'और 'चट्टान' दोनों ही सही शब्द हैं,ये मैं नहीं,शब्दकोष कहता है,ग़ज़ल पर आपने कुछ नहीं कहा ?
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 3:18pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,आपने कभी मुझे उर्दू का कोई ग़लत शब्द इस्तेमाल करते नहीं देखा होगा,'चटान'और 'चट्टान'दोनों ही सही शब्द हैं,जिस तरह 'मर्ज़','मरज़','क़द्र','क़दर'वग़ैरह हैं,आपने 'साग़र आज़मी'की ग़ज़ल का मशहूर शैर नहीं सुना :-
'कश्मीर की वादी में बेपर्दा जो निकले हो
क्या आग लगाओगे बर्फ़ीली चटानों में'
सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 3:08pm
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 3:06pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 9, 2017 at 3:03pm
जनाब यमित पुनेथा जी आदाब,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
5 minutes ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
9 minutes ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service