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बचपन

आज के जीवन शैली में
बचपन कहीं नहीं हैं
अल्हड़पन नहीं है
मासूमियत कहीं खो गयी है ।
मोबाइलों ने छीन ली है
खुले मैदानों की चिल्लाहट
टीवी कॉम्प्यूटर चल पड़े हैं
गुल्ली डंडे की जगह पर
खेल हुए है क़ैद स्कूलों में
उनके लिए ही ट्रॉफी जितने
कॉलेज में राजनीती की निति
बच्चों के मन के गलियारों में ।
बचपन बैठा है पिंजरों में
अपने ख्वाबों की उड़ान भरने को ।
खुले आकाश से बातें करता
अपने वजूद को तलाशता ।
बचपन शायद फिर लौट आये
कभी कहीं कोई परिंदा ले आये ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 22, 2016 at 8:14pm
जी आदरणीय मिथिलेश सर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 22, 2016 at 5:48pm

आदरणीया कल्पना जी, बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि सपाट शैली, संवेदनशील कथ्य और भाव दोनों को हल्का कर काव्य सौन्दर्य को प्रभावित करती है. सादर 

Comment by Samar kabeer on November 22, 2016 at 5:00pm
जी,आपकी सोच सही है ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 22, 2016 at 3:13pm
आदाब जनाब समर साहब । जी आपने सही फ़रमाया बचपन लौटकर नहीं आता कभी नहीं आता । पर इंसान जितना जितना बड़ा हो जाता है कहीं न कहीं उसके बचपन को याद करता है । आज जो बचपन बच्चों को मिल रहा है वो कहाँ ले जायेगा ? सादर । मन में इसी सवाल के चलते इस रचना को लिखने का प्रयास किया है । आप सुधिजनों को रचना पसन्द आई सार्थक हुआ मेरा प्रयास। सादर ।
Comment by Samar kabeer on November 22, 2016 at 2:45pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत ख़ूब अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
"उड़ने दो परिंदे को अभी शौख़ फ़ज़ा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते"
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 22, 2016 at 2:09pm
धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 2:06pm

आदरणीया कल्पना जी , बचपने की वर्तमान स्थिति पर सार्थक कविता रची आपने , कविता के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 22, 2016 at 1:50pm
धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना जी ।
Comment by Sushil Sarna on November 22, 2016 at 1:29pm

बचपन शायद फिर लौट आये
कभी कहीं कोई परिंदा ले आये ।
वाह कविता जी सुंदर भावों की इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। काश बचपन फिर से आ पाता?

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