For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस बार भी (लघुकथा)

“हर साल भाई को राखी डाक से भेज देतीं हूँ,. इस बार सोच रहीं हूँ उसकी कलाई पर बांधने चली जाऊँ.” विमला ने सकुचाते हुए अपने मन की बात पति कही.
पति की चुप्पी को अनुमोदन जान आगे बोल उठी:

“आप चिंता मत करो मैंने कुछ रूपये बचा कर रखें हैं, फल मिठाई और भाई के लिए एक कमीज आराम से आ जायेगी आप बस आने जाने का टिकट करा देना मेरा. सुबह जाकर रात तक वापस आ जाऊँगी.”
पति को अब भी चुप देख पूछ बैठी:

“क्या कहते हो, चली जाऊँ?”
पति ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ खत उसकी ओर बढ़ा दिया, जो उसकी नवब्याहता बहन ने अपनी ससुराल से भेजा था.पहली राखी ससुराल में मना रही बहन ने अपने भाई को बुलाया था.
विमला ने उठ कर रोली चावल की पुडिया के साथ राखी का धागा लपेट लिफाफे में रख लिया था.इस बार राखी फिर डाक से भेजने के लिए...

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Seema Singh on August 14, 2016 at 9:11pm
आपकी सराहना से मंत्रमुग्ध हूँ सर। हृदय से आभार।
Comment by Ravi Prabhakar on August 14, 2016 at 7:34pm

बहुत ही सार्थक रचना है सीमा जी । आर्थिक अभावों से जूझते मध्‍यमवर्गीय परिवाराें की यथार्थपरक स्‍िथती को सहज, सरल-स्‍वभाविक शैली में  जिस कसावट से प्रस्‍तुत किया है वह चकित कर गया। हालांकि कथ्‍य नया नहीं है परन्‍तु प्रस्‍तुतिकरण के नयेपन से जो प्रभाव रोपित किया है वह आश्‍वस्‍त करता है। शुभकामनाएं स्‍वीकारें ।

Comment by Seema Singh on August 13, 2016 at 11:01pm
शुक्रिया आप सबका ।
Comment by Nita Kasar on August 13, 2016 at 9:06pm
एक दूजे की संवेदनायें समझती है महिलायें,नायिका की दिलेरी ने मन मोह लिया कथा के लिये बधाई आद०सीमा सिंह जी ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 13, 2016 at 12:46pm
बहुत सुंदर रचना आदरणीया सीमा सिंह जी।खत का महत्व हर दौर में है।भले ही तकनीक ने उसका स्वरूप बदल दिया है।अपनी नवविहाता नन्द की भावनाओं को बखूबी समझते हुए सही फैंसला लिया नायिका ने।हार्दिक बधाई इस सुंदर रचना के लिए।
Comment by Rahila on August 12, 2016 at 9:57pm
बहुत प्यारी सी रचना। ये सावन और राखी के पावन त्यौहार पर जाने कितनी ही बहनें इस दौर से गुजरेंगी।बहुत बधाई इस सुंदर रचना के लिए आदरणीया दीदी!सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2016 at 5:17pm
अक्सर यही होता है । अच्छी कथा आदरणीया सीमा जी ।बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
23 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
40 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
54 minutes ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service