For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पथ का चुनाव / लघुकथा

आज फिर किसी विधुर का प्रस्ताव आया है । मन सिहर उठा जवान बच्चों की माँ बनने के ख्याल से ही ।

इस रिश्ते को भी ना कह कर अपने धनहीन दुर्बल पिता को संताप दूँ , या बन जाऊँ हमउम्र बच्चों की माँ । सुना है तहसीलदार है । शायद पिता की वे मदद भी करें उनकी दुसरी बेटियों के निर्वाह में ।

आज काॅलेज में भी मन नहीं लगा था । घर की तरफ जाते हुए पैरों में कम्पन महसूस की थी उसने ।

घंटे की टनकार, मंदिर से उठता हवन का धुँआ , कदम वहीं को मुड़ गये ।

ऊपर २५० सीढ़ियाँ , ऐसे चढ़ गई जैसे सारी साँसें आज इन्हीं को सुपुर्द करनी है ।

पहाड़ पर ऊपर मंदिर के , चारों ओर खाई । बिलकुल किनारे मुंडेर पर जाकर खड़ी हो गई । क्या करें , नीचे खाई में कूद जाये , या वापस घर जाकर तहसीलदार के बच्चों की माँ बने , या अपनी बी. ए. की पढ़ाई पूरी कर कोई ट्यूशन , या नौकरी ।

हथेलियों में पसीना भर आया और आँखों में आँसू । उसने महसूस किया कि वह किसी भी हाल में जिंदा रहना चाहती है । वह मरना नहीं चाहती । मंदिर की घंटी अब शांत हो चुकी थी ।

चढ़ाई से दुगुना जोश उसका अब सीढ़ियों से उतरने में था । साँसें काबू में थी ।

" पापा , मै तब तक शादी नहीं करूँगी जब तक कोई नौकरी ना मिले मुझे । " आस्तित्व के प्रति धर्माचरण का पालन करते हुए ,अब दृढ़ता से अपने पथ का चुनाव कर चुकी थी ।


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 10:43pm

आभार आपको हृदयतल से आदरणीय श्यामनारायण वर्मा  जी कथा पर मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु। 

Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 10:42pm

आभार आपको हृदयतल से आदरणीय सतविंदर कुमार  जी कथा पर मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु। 

Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 10:41pm

आभार आपको हृदयतल से आदरणीय शेख शहज़ाद जी कथा पर मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु। 

Comment by Shyam Narain Verma on October 10, 2015 at 3:46pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 9, 2015 at 4:03pm
शक्ति द्वारा पथ दर्शन।बहुत सुंदर।बधाई आदरणीया kanta roy दी
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 9, 2015 at 9:25am
अंग्रेज़ी में कहते हैं- "गुड एन्जिल" अच्छे फैसले और "बैड एन्जिल (दुरात्मायें)" बुरे फैसले करवा देती हैं, बस कुछ पलों में ही ! बहुत बहुत हार्दिक बधाई इस प्रेरक उत्कृष्ट लघु कथा सृजन हेतु आदरणीया Kanta Roy/ कान्ता राय जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service