For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“रंजना ! ये मोबाइल छोड़ दे. चार रोटी बना. मुझे विद्यालयों में निरिक्षण पर जाना है. देर हो रही है.”

रंजना पहले तो ‘हुहाँ’ करती रही. फिर माँ पर चिल्ला पड़ी, “ मैं नहीं बनाऊँगी. मुझे आज प्रोजेक्ट बनाना है. उसी के लिए दोस्तों से चैट कर रही हूँ. ताकि मेरा काम हो जाए और मैं जल्दी कालेज जा सकू.”

तभी पापा बीच में आ गए, “ तुम बाद में लड़ना. पहले मुझे खाना दे दो.”

“क्यों ? आप का कहाँ जाना है ? कम से कम आप ही दो रोटी बना दो ?” माँ ने किचन में प्रवेश किया.

“हूँउ  ! तुझे क्या पता. आज मेरे ऑफिस में आडिटर आ रहा है. इसलिए जल्दी जाना है.”

यह सुनते ही वह चिल्लाते हुए पलटी , “ पहले कहना था. सब ठेका मेरा ही है.” 

पापा पीछे थे. उन के हाथ के गिलास से पानी छलका. गर्म तवे पर गिर कर उछलने लगा. कटोरे में पड़ी रोटी पेट में जाने का इंतजार करती रह गई और माँ के कान में भी अपने कहे यही शब्द गूंजते रहे, “ पहले कहना था.”

                          -----------------------------------------

०७/०८/२०१५  ( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on August 14, 2015 at 7:44pm

आदरणीय सौरभ जी आप की समीक्षात्मक टिपण्णी लघुकथा के हर पक्ष को उजगार कर देती है । आप ने जिस बढ़िया तरीके से लघुकथा पर प्रकाश डाला ,वह मेरे लिए अनमोल है । इस हेतु आप का शुक्रिया ज्ञापित करना भी बहुत छोटा महसूस हो रहा है ।

आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 13, 2015 at 6:38pm

ये सारा कुछ मिनटों में हो गया होगा लेकिन इनकी अनुगूँज देर तक बनी रहती है. इस तरह की परिस्थितियाँ अब आम परिवारों की हो गयी है जहाँ सभी सदस्य अपनी-अपनी चर्या के प्रति आग्रही हैं. 

प्रस्तुत लघुकथा संवादों के माध्यम से जिस तनावमय वातावरण का निर्माण  करती है वह बिना कुछ कहे बहुत कुछ इंगित करता है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय.

Comment by Omprakash Kshatriya on August 12, 2015 at 6:30pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी लघुकथा पर आप के अनुमोदन के लिए शुक्रिया ।
Comment by Omprakash Kshatriya on August 12, 2015 at 6:29pm
आ पवन कुमार जी आप को लघुकथा अच्छी लगी , मेरी मेहनत सफल हो गई । आभार आप का ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 11, 2015 at 12:30pm

परिवारों में  आपाधापी से  आये दिन होते तनाव पर सुंदर लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by Pawan Kumar on August 11, 2015 at 10:52am

बहुत बढिया लघुकथा, आदरणीय हार्दिक बधाई!

Comment by Omprakash Kshatriya on August 11, 2015 at 10:30am
आभार आ मिथिलेश जी ।आप की समीक्षात्मक टिपण्णी अच्छी लगी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 11:50am

आदरणीय ओमप्रकाश जी आज के यथार्थ के अनुरूप शीर्षक को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Omprakash Kshatriya on August 8, 2015 at 2:40pm
आ राजेशकुमारी जी आप ने लघुकथा के भावों को बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया । इस के लिए मैं तहेदिल से आभारी हूँ । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 8, 2015 at 12:01pm

सब अपने -अपने में व्यस्त हैं आजकल ..नेट और चैट इस तनाव में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं हर तीसरे घर में यही वातावरण है आजकल 

लघु कथा में इसी आपधापी का सजीव चित्रण किया है आपने आ० ओमप्रकाश जी ,बहुत बढ़िया बहुत -बहुत बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service