For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हयात हमने गुज़री हे इन्तेहाँ की तरह

लहू से जिसको के सींचा था बागबां की तरह

वही चमन नज़र आता हे अब खिज़ां की तरह 
हवा का झोंका भी आया तो रोक लूँगा उसे 
खड़ा हूँ तेरी हिफाज़त में पासबां की तरह 
कभी हयात में हमको सुकूं  मिला ही नहीं 
के रोज़ो शब् नज़र आते हैं कारवां की तरह 
खुदा की याद में खुद को मिटा लिया जबसे 
मेरा वजूद ज़मीं पर हे आसमां की तरह 
ये तज़र्बे  बड़ी मुश्किल से पाये हैं हमने
हयात हमने गुज़ारी हे इन्तेहाँ की तरह 
वो जिसको लोग बुरा आदमी बताते थे 
सुलूक़ मुझसे किया उसने मेहरबां की तरह 
तमाम उम्र गुज़ारी हे मैंने ख़्वाबों में 
मुझे लगे हे हकीकत भी अब गुमां की तरह 
ज़ुबान खोल दी मैंने तो तेरी खैर नहीं 
इसी सबब से खड़ा हूँ मैं बेज़ुबां की तरह 
वो जिसके वास्ते खुद को मिटा दिया हमने 
भुला दिया हे हमें उसने दास्ताँ की तरह 
अजीब हाल हे हसरत जहाँ के लोगों का 

यहाँ यहाँ की तरह हैं वहां वहां की तरह

-मौलिक और अप्रकाशित-

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 16, 2015 at 3:20pm

hosla afzaai ke liya tamam hajrat ka tahe dil se shukriya ada karta hoon

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 16, 2015 at 3:18pm

bahut bahut dhanyawad shyam ji

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 16, 2015 at 3:15pm

aadarniya Hari prakash ji hosla afzaai ke liye bahut bahut shukriya 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:13pm
आदरणीय शरीफ अहमद कादरी जी बहुत शानदार ग़ज़ल है
हवा का झोंका भी आया तो रोक लूँगा उसे
खड़ा हूँ तेरी हिफाज़त में पासबां की तरह ....वाह
तमाम उम्र गुज़ारी हे मैंने ख़्वाबों में
मुझे लगे हे हकीकत भी अब गुमां की तरह ...शानदार
वो जिसके वास्ते खुद को मिटा दिया हमने
भुला दिया हे हमें उसने दास्ताँ की तरह.......हर शब्द कमाल है , बहुत बहुत बधाई आपको !
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:34am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ! हार्दिक बधाई !

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:09am
खुदा की याद में खुद को मिटा लिया जबसे 
मेरा वजूद ज़मीन पर हे आसमां की तरह 
ये तज़र्बे  बड़ी मुश्किल से पाये हैं हमने
हयात हमने गुज़ारी हे इन्तेहाँ की तरह 
वो जिसको लोग बुरा आदमी बताते थे 
सुलूक़ मुझसे किया उसने मेहरबां की तरह 
तमाम उम्र गुज़ारी हे मैंने ख़्वाबों में 
मुझे लगे हे हकीकत भी अब गुमां की तरह 
आदरणीय 'हसरत' साहब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है ,हर इक शेर में शेरियत परवान पर है |मक्ते में तखल्लुस का अच्छा इस्तेमाल हुआ है |मतले ने कामयाब आगाज़ किया है |आपकी ग़ज़ल के सभी अशआर लासानी है |यह एक मुक़म्मल ग़ज़ल है |तहेदिल से ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर अभिनन्दन |
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 12, 2015 at 6:08am

वाह जनाब पढ़ कर दिल ख़ुश हो गया ....बधाई हर एक शेर के लिये  

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:37pm
खुदा की याद में खुद को मिटा लिया जबसे 

मेरा वजूद ज़मीन पर हे आसमां की तरह  वाह!! वाह!! वाह!!

ये तज़र्बे  बड़ी मुश्किल से पाये हैं हमने
हयात हमने गुज़ारी हे इन्तेहाँ की तरह     क्या बात है!!
तमाम उम्र गुज़ारी हे मैंने ख़्वाबों में 
मुझे लगे हे हकीकत भी अब गुमां की तरह    लाजवाब!!
वो जिसके वास्ते खुद को मिटा दिया हमने 
भुला दिया हे हमें उसने दास्ताँ की तरह   अहा! क्या दाद दे इस शेर की! लाजवाब!!
बड़े दिनों बाद गजल सी गजल मिली!! लाजवाब आ० 'हसरत' तहेदिल से बधाइयाँ!!
Comment by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 7:47pm
Aadarniya sharif ji,
Sundar rachna ke liye sukriya.... badhai.
वो जिसके वास्ते खुद को मिटा दिया हमने 
भुला दिया हे हमें उसने दास्ताँ की तरह  -  Ye panktiyaan dil ko choo gaee. Aabhar.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 11, 2015 at 7:02pm
अजीब हाल हे हसरत जहाँ के लोगों का 

यहाँ यहाँ की तरह हैं वहां वहां की तरह--------iइस शेर पर  आपकी कलम चूमने को जी चाहता है i बहुत खूब गजल कही आपने i आपका इस मंच पर स्वागत है i  सादर 'हसरत' साहेब  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service