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स्वागतम नव वर्ष का

स्वागतम नव वर्ष का

 

हर्ष से आओ करें मिल, स्वागतम नव वर्ष का ।

आश जो हर मन जगाये, आज कारक हर्ष का ।।

कर्म को मुखरित करे वह, लक्ष्य नव उत्कर्ष का ।

शोध अभिनव जो कराये, साक्ष्य दृढ निष्कर्ष का ।१।

 

कामना नव वर्ष तुमसे, आज इतनी है सुनो ।

हस्तगत गत वर्ष की हर, शौर्य गाथा तुम चुनो ।।

चौगुनी हो वृद्धि उनमें, ध्यान इतना दीजिये ।

आप बदले में जगत की, आपदा हर लीजिये ।२।

 

प्रेम से जग जीत लें हम, आत्म का उद्धार हो ।

हो अभय जीवन सभी का, ज्ञान का विस्तार हो ।।

मुक्त हो आतंक से जग, प्रेम का अभिसार हो ।

आज मानव धर्म जीवन, ही जगत का सार हो ।३।  

 

क्रूरता जग से मिटे अब, सून गलियारे न हों ।

भूख से कोई मरे ना, दाम बलियारे न हों ।।

बोल में मधुरस घुले फिर, मेल हो व्यवहार में ।

हो न आहत मन किसी का, भाव दो उपहार में ।४।

- सत्यनारायण सिंह 

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 11:21pm

 सुन्दर रचना पर आपको  हार्दिक बधाई  आ. सत्यनारायण सिंह जी !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 7:14pm

सत्य नारायण जी

आपने गीतिका में लिखा है स्पष्ट नहीं किया  i मैंने पूरी पड़ताल नहीं की है पर शायद  है ऐसा ही  इसीलिये सुमधुर है गेय है i भाव संपन्न तो है ही i  

Comment by Shyam Narain Verma on December 29, 2014 at 10:12am

अच्छी रचना के लिए बधाई।

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