For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़िदा है रूह उसी पर, जो अजनबी सी है 
वो अनसुनी सी ज़बाँ, बात अनकही सी है//१ 
.
धनक है, अब्र है, बादे-सबा की ख़ुशबू है 
वो बेनज़ीर निहाँ, अधखिली कली सी है//२ 
.
कभी कुर्आन की वो, पाक़ आयतें जैसी 
लगे अजाँ, कभी मंदिर की आरती सी है//३ 
.
ख़फ़ा जो हो तो, लगे चाँदनी भी मद्धम है 
ख़ुदा का नूर है, जन्नत की रौशनी सी है//४ 
.
वो क़त्अ, गीत, ग़ज़ल, नज़्म है रुबाई भी 
ख़याल पाक़ मुक़म्मल, वो शाइरी सी है//५ 
.
हवा है, आग़ है, दरिया है, आसमां है वो 
ज़मीं की गोद में सिमटी, वो ज़िंदगी सी है//६ 
.
वो दिलनशीन जवां, मयकदे की ज़ीनत है 
लगे वो मय की सुराही, वो मयकशी सी है//७ 
.
वो बूँद ओस की, जलता हुआ जज़ीरा मैं 
वो ख़्वाबगाहे तमन्ना है, जलपरी सी है//८ 
.
कभी है 'नाथ' की राधा कभी वो मीरा है 
वो सुर है ताल है सरगम है बाँसुरी सी है//९ 

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

वज्न : फ़िदा-12/है-1/रूह-21/उसी-12/पर-2/जो-1/अजनबी-212/सी-2/है-2  [1212-1122-1212-22]

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 18, 2013 at 7:06pm

आदरणीय केसरी साहब...आपने जो सुझाव दिया है..उसपर जरूर अमल करूँगा...एक साथ--कुछ और ..गलतियाँ निकल आये..तो ...थी है...कुछ इंतज़ार और सही...........नमन आपको........!!!!!

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 18, 2013 at 2:25pm

बहुत बहुत शुक्रिया ज़नाब शकील जमशेद्पुरी साहब, coontee mukerjee जी...आभार इस स्नेह के लिए.....नमन !!!!

Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:10pm

ख़फ़ा जो हो तो, लगे चाँदनी भी मद्धम है 
ख़ुदा का नूर है, जन्नत की रौशनी सी है//.............बहुत खूब.

Comment by शकील समर on October 18, 2013 at 12:58pm

वो दिलनशीन जवां, मयकदे की ज़ीनत है 
लगे वो मय की सुराही, वो मयकशी सी है//

उफ्फ्फ्फ्फ..........पढ़कर नशा छा गया। ढेरों दाद कबूल करें।

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 18, 2013 at 12:21pm

Bahut Bahut Aabhar Aadarniy Saurabh Pandey Sahab.......Naman Aapko Is Sneh Hetu.........!!!!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 18, 2013 at 12:20am

हवा है, आग़ है, दरिया है, आसमां है वो 
ज़मीं की गोद में सिमटी, वो ज़िंदगी सी है
..  .. भाई, ये शेर तो जम गया मुझे. वाह वाह !

शुभेच्छाएँ 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 17, 2013 at 10:46pm

बहुत बहुत शुक्रिया शुशील भैया जी....नमन !!

आपको यह शे'र अच्छा लगा,,,,हार्दिक प्रसन्नता हुई....पुनश्च: आभार....!!!!!

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 17, 2013 at 10:45pm

बहुत बहुत शुक्रिया श्री नीरज साहब..आपका शंशय उचित है...लेकिन .अजनबी कहने का मतलब यह कतई नहीं के आप उसे..अपने ख्यालों में भी नहीं ला पायें..आप उसे महसूस भी न कर पायें...//..और उसको 'नाथ' की मीरा या राधा कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है..जब आपके लिए सब कुछ वही हो....

बहुत बहुत आभार आपका...!!!!! 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 17, 2013 at 10:39pm

आदरणीय वीनस केसरी साहब...हार्दिक आभार....आपको ग़ज़ल अच्छी लगी..मुझे भी बहुत ख़ुशी हुई...कोशिश करता रहूँगा..इसी तरह लिखता रहूँ..और मेरा खजाना भरता रहे...........नमन !!!!!!

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 10:02pm

प्यारी ग़ज़ल कही है .... महबूबा को सुना दी जाए तो मर मिटे :)))))))))))))
ढेरो दाद ...

कभी कुर्आन की वो, पाक़ आयतें जैसी ... आयतों जैसी
ख़याल पाक़ मुक़म्मल, वो शाइरी सी है .... ख्याले पाक
.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
6 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service