For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मालिक सबका एक है, खुदा गॉड भगवान।
धर्म पंथ में बांटकर, भटक गया इंसान॥

निराकार साकार ही, दोनों ईश्वर रूप।
देह और छाया सदृश, संग-संग हैं धूप॥

सूरज तारे चांद सब, सगुण ईश के रूप।
नियति नियम निर्गुण कहें, अद्भुत भव्य अनूप॥

ईश प्राप्ति निज खोज है, खोज सके तो खोज।
मोह निशा से घिर मनुज, बाहर भटके रोज॥

आत्मरूप में जाग नर, भटक नहीं अन्यत्र।
तुझ में ईश्वर ईश तू, तू ही तू सर्वत्र॥

धूम- अग्नि दिन- रात से, सुख से दुख संयुक्त।
धूप संग ही छांव है, सत्य कौन प्रभु उक्त॥

Views: 777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 14, 2013 at 3:35pm

प्रिय विन्ध्येश्वरी जी,

उत्कृष्ट चिंतन मनन दर्शन को शब्द देती दोहावली को पढ़ मन प्रसन्न हो गया

इन दो दोहों की तारीफ़ में तो क्या कहूँ..... अपनी शुभ्रता के सत्य को आप ही कहते हैं ये 

ईश प्राप्ति निज खोज है, खोज सके तो खोज।
मोह निशा से घिर मनुज, बाहर भटके रोज॥...............ईश्वर प्राप्ति स्वयं की ही खोज है..किसी और को खोजना ही नही है, बस खुद को पहचान भर लेना है... वाह! क्या गहन समझ है और उसकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 

आत्मरूप में जाग नर, भटक नहीं अन्यत्र।
तुझ में ईश्वर ईश तू, तू ही तू सर्वत्र॥............. तू ही तो वह ईश्वर आप है.जो हर कण में व्याप्त है, अद्वैतता को बहुत खूबसूरती से  शब्द दिये हैं..

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on April 14, 2013 at 10:20am

प्रिय विंध्येश्वरी जी, प्रत्येक दोहा सारगर्भित है. जीवन के सच्चे सुख का यही तो मूलमंत्र है.बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 13, 2013 at 11:16pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी सुन्दर दोहे. बधाई स्वीकारें.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 13, 2013 at 7:16pm
भाई राम शिरोमणि जी! दोहों की सराहना के लिये हार्दिक आभार।
Comment by ram shiromani pathak on April 13, 2013 at 6:58pm

ईश प्राप्ति निज खोज है, खोज सके तो खोज।
मोह निशा से घिर मनुज, बाहर भटके रोज॥

आत्मरूप में जाग नर, भटक नहीं अन्यत्र।
तुझ में ईश्वर ईश तू, तू ही तू सर्वत्र॥

आदरणीय भाई विन्ध्येश्वरी जी सुन्दर दोहे रचे हैं आपने!हार्दिक बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 13, 2013 at 4:48pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी! दोहावली पसंद करने के लिये हार्दिक बधाई।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 13, 2013 at 4:46pm
आदरणीय संदीप भाई जी! दोहावली पसंद करने के लिये हार्दिक बधाई।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 13, 2013 at 4:42pm
आदरणीय ब्रिजेश जी! दोहों की सराहना के लिये हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2013 at 11:18am

निराकार साकार ही, दोनों ईश्वर रूप।
देह और छाया सदृश, संग-संग हैं धूप॥बहुत सुन्दर उत्कृष्ट दोहावली कही है प्रिय विन्ध्येश्वरी जी हार्दिक बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 9:46pm

आदरणीय विनय भाई सादर 

बहुत ही अच्छे दोहे रचे हैं आपने 

दर्शन से भरे हुए

बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

आदरणीय लक्ष्मण सर जी का सुझाव मंच में सीखने सिखाने के क्रम को आश्वस्त करता है

सादर बधाई उन्हें भी  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
33 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
35 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
35 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
39 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
41 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
41 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service