For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लूट व् भ्रष्टाचार से, भरा पड़ा अखबार,
ह्त्या, बलात्कार से, ख़बरों की भरमार ।
 
घोटालों की भरमार, जनता को सब भान
जाँच करा लिपापोती, सरकार की ये शान ।
 
सुर्खियों में रहना ही, नेता समझे शान,
चर्चा में हरदम रहे,  नेता उसको जान  । 
 
खबर गर है मजेदार,सच की क्या दरकार
संस्कृति व साहित्य से, कहाँ अब सरोकार ।
 
जनहित सोंच खबर छपे, इसकी ही दरकार,   
जनजन को चेतन करे,वह असली अखबार ।
 
जनता में जागृति भरे, खबर सजग करजाय, 
जनसत्ता को सजग करे, चौथा स्तम्भ बताय ।
 
जनहित में खबरे छपे, इसकी ही दरकार,   
जनजन को चेतन करे,वह असली अखबार ।
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला  

 

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 3, 2012 at 9:46am

रचना के भाव पसंद करने के लिए आपका आभार भाई श्री वीनस केसरी जी 

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2012 at 12:10am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 12:00pm

 रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा 'अनंत' जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 11:57am

डॉ प्राची जी, दोहे लिखने के विच्दर से ही प्रयास किया था पर बैठ नहीं पा रहे थे । रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2012 at 11:51am

आपका सुझाव अच्छा लगा घोटालों की भरमार ज्यादा ठीक रहेगा । तो पंक्तियों के माध्यम से आपकी 

सामयिक प्रतिक्रिया ने तो चार चाँद लगा दिए, हार्दिक आभार स्वीकारे 
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:49am

आदरणीय सर आज के अख़बारों की दशा का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया है बधाई स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 7:55pm

आदरणीय लक्ष्मण जी,

इस रचना के भाव बहुत सुन्दर हैं.

लेकिन यदि आपने यह दोहा मान कर लिखे हैं तो यह दोहे बिलकुल नहीं हैं...

सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 7:43pm

आदरणीय लड़ीवाला जी 

                    सादर प्रणाम, सामयिक विषय पर आपने बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं एक दो जगह मात्रा कम लगी.मगर दोहे अपने उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं.सादर.

घोटालो की करतार,  जनता को भी भान             

जांच कर लीपापोती,  घोटाले की   शान ।
इस दोहे में करतार कि जगह भरमार कर दें तो कैसा रहेगा.

सम्पादक बैठे दुई, मांगे एक करोड,

पत्रकारिता भी मुई,लागत है बेजोड/ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 4:36pm

रचना के भावों को पसंद कर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी 

आपने टंकण त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाकर लेखक धर्म निभाया है, उसके लिए भी धन्यवाद ।

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 4:13pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका शालिनी कौशिक जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
45 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service