For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्नी का खतरनाक बाउंसर (हास्य व्यंग

सचिन तेंदुलकर बोंले -
पत्नी का गुस्सा तेज है
पत्नी के आगे निस्तेज है
हमने कहाँ पत्नी के आगे
सभी पति निस्तेज है
वे बोंले -
बाँल से भी खतरनाक है
बेलन बाँल से क्या कम
खरतनाक है ?
बाँल तो दूर से आती है
बेलन तो हाथ में रखती है ।
पत्नी के बाउंसर से -
हर पति डरता है,
कमाई ला झट से -
हाथ में धर देता है ।
फिर जरुरत पड़ने पर
हाथ फैलाना पड़ता है ।
यह कोई नयी बात नहीं है
हर युग में होता आया है
कृष्ण ने राधिका तो
कितनी बार रिझाया है ।
मीडिया ने इसको-
क्यों सुर्ख़ियों में सजाया है
अपने तो यह समाचार
कुछ समझ नहीं आया है ।
मन अपने मन की
कर नहीं सकता है,
सुनिए जी कहकर -
आदेश की प्रतीक्षा में
समय व्यतीत करता है ।
राधा की पांति पाने को-
आतुर मन मोहन भी -
पलक पाँवडे बिछाए
प्रतीक्षा में ही रहता है ।

- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 9:02am

हास्य व्यंग में व्यक्त कडवी सच्चाई से आपकी सहमती के लिए हार्दिक आभार आदरेया राजेश कुमारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 9:00am

आपको रचना में व्यक्त भाव पसंद आये इसके लिए हार्दिक आभार श्री अशोक रक्ताले जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 27, 2012 at 8:58am

प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए हार्दिक धन्यवाद अखलेश मिश्रा जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 26, 2012 at 9:12pm

आदरणीय लड़ीवाला जी 

                       सादर, सुन्दर व्यंग रचना.बधाई स्वीकारें.यह भी सही है कि समाचार चेनलों ने इसे बेवजह तूल दिया था.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 26, 2012 at 8:37pm

हाहाहा पत्नी के बेलन से सब डरते हैं !!!

Comment by akhilesh mishra on November 26, 2012 at 4:27pm

साहब तेंदुलकर को जनता से भी डरना चाहिए ।सुंदर कविता बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service