For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महंगाई 

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है 

आम सी दाल को भी खास बनाया है

जो दाल रोटी खा प्रभु के गुण गाते थे 

प्रभु को भूल आज,वो दाल की पूजा कर जाते हैं 

फास्ट फ़ूड खाने वाला आज दाल भी शौक से खाता है 

सूट पहनकर इतराता हुआ खुद के रौब दिखाता है 

धरती की दाल को आसमान पे पहुँचाया है 

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है...

 

 मीठी लगने वाली चीनी अब तीखी तीखी लगती है

रोज़ सुबह की चाय बिन चीनी के ही बनती है 

सफ़ेद रंग का दूध अब काला सा पड़ गया 

दूध से बना हर उत्पाद महंगाई से सड़ गया 

घी तो बस तीज त्योहारों में ही मिल पाता है

भले उसमें कुछ न बने , देखने से काम चल जाता है

भोजन  की हर वस्तु को हमने घर में सजाया है 

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है...

 

शर्मा जी जो रोज़ ऑफिस कार से थे जाते

आजकल बगल के पार्क में हैं साइकिल चलाते 

सब्जी किराना रोज़ स्कूटर से थे ले आते

अब बाजारों में दीखते हैं पैदल ही झोला हिलाते

प्रेमी जोड़े भी मोबाइल पर बतियाना पसंद करते हैं

बांहों में बाहें डाले लॉन्ग ड्राइव पर जाने से  डरते हैं 

पेट्रोल- डीजल ने  हर दिल हर घर जलाया है

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है... 

 

बच्चो को खुद ही स्कूल छोड़ खुद ही टियुशन पढाता हूँ 

इस तरह कमाई के चार पैसों में से दो भविष्य के लिए बचाता हूँ 

हर महीने कॉपी और कलम के खर्चो से हैरान सा रहता हूँ

कम लिखो, ज्यादा पढो, याद करो बच्चो से यही कहता हूँ

 कभी कभी बच्चो को घुमाने भी ले जाना पढता है 

आइस क्रीम से गला खराब होगा ये कहकर पोपकोर्न खिलाना पड़ता है

मेरी मजबूरी ने बच्चो का मन भी तरसाया है 

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है... 

 

श्रीमती जी को भी चाहिए साड़ी और गहना हर बार

इसी चक्कर में लेना पड़ता है ब्याज पर थोडा ऊधार

हर महीने तनख्वाह से ऊधारी का ब्याज चुकता हूँ  

नए ऊधार ले कर उसके बोझ तले दब जाता हूँ

कभी चूड़ी, कभी बिंदी से श्रृंगार कर खुद को सजा लिया 

श्रीमती के श्रृंगारों ने मुझे भिखारी बना दिया 

अब मत मांगो कुछ हर बार उन्हें समझाया है

महंगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है...  

 

महंगाई ने सबको कमज़ोर बना दिया 

बच्चा बूढा जवान सबको चोर बना दिया

गृहस्थी चले कैसे महंगाई ने कर दिया मजबूर 

बड़ा बनने के हर सपने के कर दिया चूर चूर 

अगली बार सब बेहतर होगा ये नेता कहते हैं 

इसी आस में हम रोज़ जीते रोज़ मरते हैं 

आलू प्याज सोना चांदी सबके लिए आंसुओं को बहाया है 

मंहगाई ने कुछ ऐसा रंग दिखाया है...

रणवीर प्रताप सिंह 

 

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ranveer Pratap Singh on October 21, 2012 at 11:15pm

 rajesh kumari sahi kaha aapne kush dino baad to kuch likhne ko bhi nahin rahega...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 21, 2012 at 6:51pm

सच में महंगाई ने बहुत कुछ लिखने पर मजबूर कर दिया 

Comment by Ranveer Pratap Singh on October 19, 2012 at 11:59pm

@ajay sharma thank you so much sir 

Comment by ajay sharma on October 19, 2012 at 10:23pm

tremendous effort,,,it is showing a great sense of human plights , different live-emotions similies are good 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
33 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
35 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
35 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
39 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
41 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
42 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service