For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़बर बहुत ही दुखदायी है बाबाजी

करोड़ों  दिलों पर राज करने वाले शहंशाह-ए-ग़ज़ल एवं लोक लाड़ले  स्वर सम्राट जनाब  मेहदी हसन  के देहावसान से  हमें बहुत दुःख पहुंचा है . 

उनकी आत्मिक शान्ति के लिए  परम पिता से प्रार्थना करते हुए  एक ग़ज़ल के रूप में  दिवंगत  आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि :



आँख ग़ज़ल की पथराई है  बाबाजी
नज़्म सोग  में  सरसाई  है बाबाजी



मेहदी की शीतल सुर-सरिता सूख गई
ख़बर  बहुत  ही  दुखदायी है  बाबाजी



चमक दमक, महफ़िल की रौनक रूठ गई
रह   गई   बस   इक   सूनाई  है   बाबाजी



उड़ गये सूखे  फूल कज़ा की आँधी  में
धूल  किताबों   पर  छाई   है   बाबाजी



हाय पहले जगजीत, गये अब मेहदी भी
किसने  चिट्ठी   भिजवाई  है   बाबाजी



अल्लाह ताला उनको जन्नत अता  करे
दुआ   यही  लब   पर  आई  है  बाबाजी



कैसे कहूँ 'अलविदा'  उसे मैं 'अलबेला'
वाणी      मेरी    भर्राई    है   बाबाजी

Views: 1006

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 11:32pm

आपका धन्यवाद बिश्वजीत यादव जी.......
आभार

Comment by Bishwajit yadav on June 14, 2012 at 11:30pm
प्रणाम अलबेला जी

उड़ गये सूखे फूल कज़ा कीआँधी में
धूल किताबों पर छाई है बाबाजी

बहुत सुन्दर सर जी
Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 8:23pm

आपके सलाम को हमारा एह्तरामन सलाम...नीलांश जी....
धन्यवाद

Comment by Nilansh on June 14, 2012 at 8:07pm

उड़ गये सूखे  फूल कज़ा की आँधी  में 
धूल  किताबों   पर  छाई   है   बाबाजी

un fankaaron ko salaam karti aapki rachna ko salaam

 

 

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 3:48pm

धन्यवाद अरुण जी......

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 14, 2012 at 3:28pm

आँख ग़ज़ल की पथराई है  बाबाजी
नज़्म सोग  में  सरसाई  है बाबाजी....सच कह रहे हैं ..

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:36pm

जी सौरभ जी...........
_______यह सच है
आपको नमन


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 14, 2012 at 12:33pm

आज आँखें बार-बार कह रही हैं..  हम कुछ और गूँगे हुए हैं.. .

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:30pm


भाई योगेश शिवहरे जी,
भारत में जन्मा वह अनमोल नगीना  भले ही  आज हमारी नज़रों से ओझल हो गया  लेकिन उसकी चमक सदा सदा हमारे सामने रहेगी........

नमन उस महामना को

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:27pm

जी प्रदीप जी,
आपने सही फरमाया
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service