For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज हिमालय ने हमको ललकारा है

प्यार-एकता की खुश्बू से महके चमन हमारा I


सारी दुनिया में सबसे आगे हो वतन हमारा I

कुर्बानी देकर पायी है आजादी की दौलत I

जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो-छोड़ो बैर और नफ़रत I

 

देश के टुकड़े करने को, दुश्मन ने जाल पसारा है I

नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I

 

हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई,एक ही घर के पाये हैं I

विद्यापति,नानक, कबीर, यहाँ गीत प्यार के गाये हैं I

तुलसी ,मीरा और मुहम्मद, ज्ञान-मशाल जलाये हैं I

गौतम,अकबर और अशोक कभी, इस धरती पर आये हैं I


 

याद करो तारीखे वतन, जो हर मुल्कों से न्यारा है I

नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I

 

मर्द - मर्द है, नारी भी यहाँ खड़ग उठाया करती है I

लक्ष्मी-रजिया ,चाँद-चेनम्मा, इंदिरा की ये धरती है I

शिवा-प्रताप की अमर कहानी, हवा सुनाया करती है I

बुलबुल भगत-आजाद की गाथा,गाते हुए चहकती है I

 

हम भारत के वासी हैं, फौलादी जिगर हमारा है I

नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I


धरती है हम सबकी माता, श्रम से इसे सजायेंगे I

बंटने देंगे नहीं इसे,इसलिए भले कट जाएंगे I

भारत माँ तेरा यश निर्मल , दाग नहीं लगने देंगे I

तेरा मस्तक वीर हिमालय, कभी नहीं झुकने देंगे I
है अखण्ड अपना भारत, मंजूर नहीं बंटवारा है I

नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I

गीतकार -- सतीश मापतपुरी

 

Views: 1676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on August 16, 2011 at 2:16am

बहुत -बहुत धन्यवाद मैडम. आपकी सराहना एक मायेने रखती है. जश्ने आज़ादी मुबारक.

Comment by Shanno Aggarwal on August 16, 2011 at 1:19am

सतीश जी, देश भक्ति पर इतनी सुंदर रचना प्रस्तुत करने लिये आपको बधाई व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.

 

''धरती है हम सबकी माता, श्रम से इसे सजायेंगे I

बंटने देंगे नहीं इसे,इसलिए भले कट जाएंगे I

भारत माँ तेरा यश निर्मल , दाग नहीं लगने देंगे I

तेरा मस्तक वीर हिमालय, कभी नहीं झुकने देंगे I 
है अखण्ड अपना भारत, मंजूर नहीं बंटवारा है I''

Comment by satish mapatpuri on August 16, 2011 at 12:41am

आपको भी सर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 15, 2011 at 6:04pm

जश्नेआज़ादी की मुबारकबाद ..

Comment by satish mapatpuri on August 15, 2011 at 11:44am

सराहना के धन्यवाद गणेश जी, आपको भी जश्ने आज़ादी की हार्दिक शुभकामना.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 15, 2011 at 10:54am

मर्द - मर्द है, नारी भी यहाँ खड़ग उठाया करती है I

लक्ष्मी-रजिया ,चाँद-चेनम्मा, इंदिरा की ये धरती है I

शिवा-प्रताप की अमर कहानी, हवा सुनाया करती है I

बुलबुल भगत-आजाद की गाथा,गाते हुए चहकती है I

 

सतीश भईया जबाब नहीं है आपका, बहुत ही खुबसूरत देशभक्ति रचना दिए है आप | बहुत बहुत बधाई और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service