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दोहा सप्तक

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चिड़िया सोने से मढ़ी, कहता सकल जहान।

होड़ मची थी लूट लो, फिर भी रहा महान।1। 

कृष्ण पक्ष की दशम तिथि, फाल्गुन पावन मास।

दयानंद अवतार से, अंधकार का नास।2। 

टंकारा गुजरात में, जन्में शंकर मूल।

दयानंद बन बांटते, आर्य समाज उसूल।3।

जोत जगाकर वेद की, दिया विश्व को ज्ञान।

त्याग योग संस्कार ही, भारत की पहचान।4। 

कहा वेद की भाष में, श्रेष्ठ गुणों को धार।

लक्ष्य प्राथमिक मानकर, वैदिक रखो विचार।5। 

गहन अंधविश्वास में, भटक रहे थे लोग।

दिनकर आया ज्ञान ले, याद दिलाया योग।6। 

चाहो जो तुम मोक्ष तो, जीतो पांचों क्लेश।

राग अविद्या अस्मिता, अभिनिवेश अरु द्वेष।7।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 13, 2025 at 9:01pm

वाह वाह वाह ! 

आदरणीय सुरेश कल्याण जी, 

स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को लेकर आपने सार्थक दोहे प्रस्तुत किये हैं. 

 जो चाहो तुम मोक्ष तो, जीतो पाँचों क्लेश।

राग अविद्या अस्मिता, अभिनिवेश औ' द्वेष।7।

हार्दिक बधाइयाँ

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on March 2, 2025 at 8:04pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2025 at 5:44pm

आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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