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 रहती हो जिसके साथ मुसीबत हरी भरी
 कैसे हो उस की  यार  तबीयत हरी भरी।१।
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 वो भाग्यवान तात से जिसको मिले सदा 
 आशीष  लाड़  डाँट  नसीहत  हरी भरी।२।
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 सबने है आग द्वेष की सुलगा रखी बहुत
 रखता है मन में  कौन मुहब्बत हरी भरी।३।
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 बढ़ता न ताप दुनिया का ऐसे कभी नहीं
 रखते धरा को लोग जो औसत हरी भरी।४।
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 बाँटें दुखों के बोझ को मिलके सदा यहाँ
 दो ईश खूब सब को ही नीयत हरी भरी।५।
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 हर ओर युद्ध मौत का फैला के जाल यूँ
 करने में सब का जोर कयामत हरी भरी।६।
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 पुरखे थे राम सीख है जिन की यही हमें
 रखना दिलों में प्यार की दौलत हरी भरी।७।
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 बातें हैं व्यर्थ आओ 'मुसाफिर' न फेर में
 लौटा है कौन देख  के  जन्नत हरी भरी।८।
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 मौलिक/अप्रकाशित
 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Comment
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक बधाई।
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