For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
2 2 1 / 2 1 2 1 / 1 2 2 1 / 2 1 2

फूलों के सीने चाक हैं बुलबुल फ़रार है
सब दाग़ जल उठे हैं ये कैसी बहार है

कैसी बहार शहर में क्या मौसम-ए-ख़िज़ाँ
कारें इमारतें हैं दिलों में ग़ुबार है

कुछ बस नहीं बशर का क़ज़ा पर हयात पर
लेकिन ग़ुरूर ये है कि ख़ुद-इख़्तियार है

हाकिम है ख़ूब ख़्वाब-फ़रोशों पे मेहरबां
भाता नहीं उसे जो हक़ीक़त-निगार है

क्या ख़ूब है निज़ाम जहान-ए-ख़राब का
जिस पर फ़िदा हैं हम वो किसी पर निसार है

पाए निजात ग़म से जहां में बशर कहाँ
जो ग़म नहीं सनम का ग़म-ए-रोज़गार है

होगी शिकस्त जो भी ये बाज़ी लगाएगा
दिल की सुनाएं क्या ये बड़ा बद-क़िमार है

जाने किधर को ले गई दीवानगी हमें
बैठे हैं कब से ख़ुद का हमें इन्तेज़ार है

सुनते हैं बंट रही है ख़ुशी आज शहर में
अब छोड़िए चलें बड़ी लम्बी क़तार है

नाहक ख़फ़ा न हूजियो 'शाहिद' से साहिबो
बंदा है नेक-दिल ज़रा ग़फ़लत-शिआर है
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on February 19, 2020 at 1:58pm

आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्रणाम। हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ। आपकी उपस्थिति और आशीर्वाद के बाद ही ग़ज़ल मुकम्मल होती है।

Comment by Samar kabeer on February 19, 2020 at 12:02pm

जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on February 18, 2020 at 4:12pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। आपका ग़ज़ल तक आने के लिए और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2020 at 3:00pm

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । बहुत खूब गजल कही, हार्दिक बधाई।

जाने किधर को ले गई दीवानगी हमें
बैठे हैं कब से ख़ुद का हमें इन्तेज़ार है

.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service