For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत कुमार शर्मा's Blog – April 2018 Archive (5)

लल्ला गया विदेश

लल्ला गया विदेश

© बसंत कुमार शर्मा

उसको जब अपनी धरती का,

जमा नहीं परिवेश.

ताक रही दरवाजा अम्मा,

लल्ला गया  विदेश.

खेत मढैया बिका सभी कुछ,

हैं जेबें…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on April 17, 2018 at 9:12am — 11 Comments

नवगीत- चल दिया लेकर तगारी -बसंत

चल दिया लेकर तगारी

© बसंत कुमार शर्मा

 

सिर्फ रोटी के लिए बस,

खट रही है उम्र सारी.

सूर्य निकला भी नहीं, वह,

चल दिया लेकर तगारी.

 

ठण्ड, बारिश, धूप तीखी,

वार…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on April 13, 2018 at 9:30am — 16 Comments

गीत में ढलता रहा

स्वप्न मनभावन हृदय में,

रात-दिन पलता रहा.

गीत पग-पग साथ मेरे,

हर समय चलता रहा

 

पीर लिख कर कागजों में

रोज दिल अपना दुखाया.

प्रेम के दो शब्द लिखकर,…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on April 9, 2018 at 10:00am — 10 Comments

हो सके तो वन बचा लो  -नवगीत

हो सके तो वन बचा लो  

 

दे रहे जीवन सभी को,

खेत, वन, उपवन सजा लो.

हैं जरूरी जिन्दगी को,

हो सके तो वन बचा लो.  

 

हो चुके हैं, मत करो इन,

पर्वतों को और…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on April 7, 2018 at 8:30pm — 18 Comments

कब पटाखे फूट जाएँ

गर्म होती जा रहीं है,

शहर में पागल हवाएँ.

क्या पता इन बस्तियों में,

कब पटाखे फूट जाएँ.

 

ढूँढता अस्तित्व अपना,

सच बहुत बेचैन है.

डस रहा है दिन उसे तो,…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 11:16am — 18 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
13 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
43 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
49 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
55 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service