For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोहित डोबरियाल "मल्हार"'s Blog (13)

अहसास

यूँ तो अपना था वो कहने को

पर वो अपना हो ऐसा एहसास कहाँ,

उनके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को

तो जाना उनके दिल में अपना ठौर कहाँ,

ख़ुद तजुर्बा ये मैने है पाया

इस दुनिया में वफ़ा का मोल कहाँ,

झूठे वादों पर चलती है दुनिया

सच का तो अब है मौन यहाँ,

यूँ तो अपना था वो कहने को

पर वो भी अपना हो ऐसा एहसास…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 2, 2021 at 11:30pm — 12 Comments

दिया तले अंधेरा

रोशनी ही रोशनी है चारों तरफ तो क्या हुआ

दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,

खबर नहीं उनको मेरे इश्क़ की तो क्या हुआ

पर इश्क़ तो मुझे उनसे सच्चा ही हुआ,

है हर धड़कन पर उन्हीं का कब्जा तो क्या हुआ

अब दिल भी तो उन्हीं का ही हुआ,

उनको मेरी ग़ज़ल पसंद नहीं तो क्या हुआ

पर उनका हर लफ़्ज तो ग़ज़ल ही हुआ,

मुहब्बत में मिले जख़्म "मल्हार" तो क्या हुआ

उसकी यादें भी तो मरहम ही हुआ,

हम उन्हें हमसफ़र ना बना पाये तो क्या हुआ

उनकी यादों के साथ ये सफ़र ही तो… Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on March 5, 2018 at 10:16pm — 2 Comments

तू प्यार है मेरा

तू प्यार है मेरा यार है मेरा, ये बात मैं सबसे क्यों बोलूँ,
जो राज दबाया है सीने में वो शहरा भर में क्यूँ खोलूँ
.
सब कहते हैं "मल्हार" तेरे गीतों में ये कशिश कहाँ से आती है
मैं दिल में रो कर,चेहेरे से हँस कर ये बात टालते जाता हूँ
.
अहसासों के कागज़ पर अब मैं ख़ुद को लिखता रहता हूँ
उम्र भर के यादों में, मैं बस तुझको ही ढूंढता रहता हूँ
.
अजीब दास्ताँ मेरे इश्क़ की, तुझे खोने से डरता…
Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on October 5, 2017 at 1:30pm — 5 Comments

एक ख्वाहिश

एक ख्वाहिश पूरी कर दे तू इबादत के बगैर

वो आ कर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर

ऐ खुदा हुस्न और दौलत तो तेरी कुदरत है

मैं मानूँ अगर वो अपना ले मुझे इनके बगैर

बोल कर इज़हार क्यों करूँ अपने इश्क़ का

मैं मानूँ अगर वो जान जाये इशारे किए बगैर

यूँ तो आदत नही किसी को देखूं मुड़ कर

पर दिल करता है देखूं तुझे पलकें गिरे बगैर

शौक लगा उसी दिन मुहब्बत का मुझे यारों

दिल खो गया था जिस दिन खोये बगैर

कोई उम्मीद,दिलासा दे दे मुलाकात…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on October 1, 2017 at 10:26pm — 4 Comments

ये कैसे हो गया

ये क्यूँ और कैसे हो गया

हद में रहकर भी बेहद हो गया 

  

था कभी जो नज़रों और ख्वाबों में,

ना जाने अब क्यूँ ओझल हो गया

चाहूँ मैं उसको जितना ज्यादा 

वो दूर क्यूँ मुझसे उतना हो गया

ये क्यूँ और कैसे हो गया

हद में रहकर भी बेहद हो गया

सोचा भूल जाऊँ अब उसे मैं 

पर वो क्यूँ मेरी रूह में बस गया

लौट-लौट कर आती हैं यादें तेरी

क्यूँ हर लम्हा मेरा तेरे नाम हो गया

पाना क्यूँ…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on September 25, 2017 at 10:06pm — 7 Comments

तू है मैं हूँ

          तू है मैं हूँ

तू है मै हूं और साथ मेरी तन्हाई है

क्यूँ कल तू फिर मेरे सपने में आयी है

तेरा इस कदर मेरे सपने में आना

और आकर फिर इस तरह से जाना

मेरा चैन और सुकूंन सब तेरा ले जाना

मेरे सपने में तेरा यूँ आके चले जाना

बिन तेरे ना कुछ भी अब अच्छा लगता है

तेरा यूँ छोड़ के जाना ना अच्छा लगता है

क्यूँ तुझको प्यार मेरा ना सच्चा लगता है

बस तेरे में खो जाना क्यूँ अच्छा लगता है

बिन तेरे ना कुछ भी अब अच्छा लगता…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on June 11, 2017 at 10:11pm — 2 Comments

भूल गया जो मै खुद (कविता)"मल्हार"

भूल गया जो मै खुद को तुझको पाकर

ये क्या कर बैठा दिल मेरा तुझपे आकर,

बस गये जो तुम मेरे इस दिल में आकर

मर न जाऊँ कहीँ मै इतनी ख़ुशी पाकर,

तूने ये क्या कर दिया दिल में मेरे आकर

अब  तोड़ो ना दिल इस तरह से जाकर,

ख़ुदा मिल गया था जैसे तुझको पाकर

बता अब क्या कहूँ में ख़ुदा के घर जाकर,

पूछे जो क्यों भूल गया था किसी को पाकर

तू ही कुछ राह सूझा जा वापिस आकर,

कैसे बताऊँ मिल गया था क्या तुझको पाकर

ख़ुदा ही रूठ गया मेरा तो जैसे…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 29, 2017 at 6:26am — 3 Comments

"तेरा साथ" कविता (मल्हार)

तेरा मेरा साथ अगर हो जाये  

तो जीना मेरा पुख़्ता हो जाये

धूप कभी गर लगे जो मुझको

छांव तेरी जुल्फों का हो जाये

ना कोई वादा ना कोई कसमें

निभाते चलें बस प्यार की रस्में 

सांस अधूरी धड़कन अधूरी 

जब तुम ना थे तब हम अधूरे

पूरा है अब चाँद फलक पर

अब तू भी पूरा में भी पूरा।       

  रोहित डोबरियाल"मल्हार" 

    मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 24, 2017 at 8:24pm — No Comments

"तन्हा" सपना (मल्हार)

तू ही तो मेरा अपना है

लगता यह इक सपना है 

कहता मेरा पागल दिल 

बस तेरे लिए धड़कना है

ना मेरे दिल ना मेरे में कोई बुराई है

लगता है किस्मत में  ही जुदाई है

चल दिल भी तेरा मैं भी तेरा 

यह सपना तू कर दे बस पूरा

अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको,

इस दिल में बड़ी गहराई  है

अब अकेला हूँ मैं यारों …. 

बस साथ मेरी तन्हाई  है 

बस साथ मेरी तन्हाई है 

                    "मल्हार"

  मौलिक व अप्रकाशित

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 22, 2017 at 9:06pm — 4 Comments

नज़रें (कविता)मल्हार

नज़र से मेरी नज़र जो मिली तेरी

दिल की धड़कनें कुछ यूँ बढ़ी मेरी

ये दिल जो हो गया है अब तेरा

तू ही बता क्या कसूर इस में मेरा  

गा रहा ये दिल तराने अब तेरे 

बज रहा हो सितार जैसे दिल में मेरे

ख्यालों में डूबा हूं इस कदर अब तेरे

दिन गये चैन-ओ-सुकून वाले अब मेरे

बेवफ़ाई जो कर गयी नज़रें तेरी

किस्मत ही मुकर गयी जैसे मेरी

तुझे न पा सकूँ तो मेरी  क्या कमी है

बस आँखों में जिंदगी भर की नमी है 

मेरे दिल…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 21, 2017 at 11:30pm — 2 Comments

"मल्हारी" गीत (कविता)

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो मुझको तेरा मीत बना दे,

मुखड़े पर स्वर-संगीत उठा कर

स्थाई पर जैसे सम आकर,

तू गीत कोई "मल्हार" सा गा दे

कुछ एक नयी सी रीत बना दे,

फिर एक नई बंदिश तू लिख दे

जो दिल आकर घर सा कर दे,

मुझको अपनी मीत बना दे

मुझको अपनी जीत बता दे,

तू कुछ ऐसा गीत बना दे

जो तेरी मेरी प्रीत बता दे,

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो मुझको तेरा मीत बना दे,

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 19, 2017 at 11:41am — 2 Comments

आँखों का दीवाना

तेरी आँखों ने

दीवाना बना दिया मुझको

में क्या था और

ये क्या बना दिया मुझको

क्या पता है हाल-ए-खबर तुझे

जो दे गयी है बेचैनी मुझे

क्यों समझते नही ख़ामोशी मेरी

क्या पता नहीं तुम्हें कहानी मेरी

कहते हैं सब ये शराफत है तेरी

पर कैसे बताऊँ तू ही तो मंज़िल है मेरी

सुनो ना जिसे सब लोग जिंदगी कहते हैं

तुम बिन उसे मैं अब क्या कहूँ

ये इश्क क्या है मालूम नहीं

पर इक दर्द सा सीने में है

दीवाना हूँ सादगी का तेरी

सुन ले आरजू इस दिल…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 17, 2017 at 8:17pm — 6 Comments

गलती

माना ये गलती मेरी थी पर

थोड़ी थोड़ी तेरी थी

ये दिल जो तेरा हो बैठा

कल तक ये जो मेरा था

तेरी वो बातूनी बातें

जैसे हो बरसात बिना छाते

होगा पश्चाताप तुम्हें तब

जिस दिन सोचे गलती तेरी थी

तुझसे महोब्बत कर बैठे

यही तो गलती मेरी थी

मेरी बातें तुम समझ ना पायी

यही तो गलती तेरी थी

यही तो गलती मेरी थी

मौलिक व अप्रकाशित

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 15, 2017 at 8:49pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service