For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohammed Arif's Blog – August 2017 Archive (6)

लघुकथा--कॉमेडियन

"माँ , आज तुमको बताना ही होगा ?" राजू बोला ।
"क्या ?" माँ बोली ।
"यही कि तुम मेरे आज तक के किसी भी एक्ट पर नहीं हँसी । मेरे एक्ट पर तुम्हें हँसी क्यों नहीं आती ? मेरे एक्ट से लोगों के पेट में बल पड़ जाते हैं । सारा शहर मुझे " राजू द ग्रेट
कॉमेडियन " कहता है ।"
" बेटा , जब हमारी भूख , गरीबी , अभाव , पीड़ा और तेरे पिता की कैंसर से मौत ने तुझे ग्रेट कॉमेडियन बना ही दिया है तो मुझे हँसने की क्या ज़रूरत है ।" राजू की आँखों से आँसू छलक पड़े ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on August 23, 2017 at 10:00pm — 19 Comments

लघुकथा--इशारा

हवलदार -" नये थानेदार साहब आज दौरे पर निकले थे । तुम्हारी दुकान पर भी निगाह गई थी । तुमने सामान बाहर सड़क तक जमा रखा है । इससे यातायात में लोगों को दिक्कत आती है ।" हवलदार का इतना कहना ही था कि
घबराकर दुकान संचालक अनिल बोला -"जी...जी...जी... आज के बाद सामान बाहर नज़र नहीं आएगा ।"
"नहीं , नहीं थानेदार साहब का इशारा किसी दूसरी चीज़ की ओर है ।" हवलदार कहते हुए चला गया मगर अनिल को इशारा बहुत देर बाद समझ में आया ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on August 19, 2017 at 11:30pm — 11 Comments

एक कविता जश्ने आज़ादी के नाम

सत्तर बरस आज़ादी के,

याद करो क़ुर्बानी के ।

वो तो सब परवानें थे ,

भारत माँ के दीवानें थे

हँसते हुए प्राण गंवाए,

वीर शहीद वो कहलाए ,

माँ का हर वचन निभाया ,

देकर रक्त कर्ज़ चुकाया ।

सत्तर बरस.......

आज़ादी की मशाल थे ,

भारत भूमि की ढाल थे ,

शौर्य के अंगारे थे ,

इंकलाब के नारे थे ,

सब साहस की उड़ान थे

वीरता की पहचान थे ।

सत्तर बरस......

हर वीर एक ज्वाला था ,

क्रांति का मतवाला था

जब विपदा आन पड़ी थी ,

जवानी… Continue

Added by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 12:02am — 9 Comments

लघुकथा---सोच

देर रात चार-पाँच लड़कियों का झुंड बदहवास , घबराया हुआ जब पुलिस स्टेशन में दाखिल हुआ तो पुलिस वालों के भी होश उड़ गए । पहले उन्हें बैठाया गया । ढाँढस बँधाया । फिर थानेदार साहब ने कहा-"हाँ , अब बताइए क्या हुआ ?"

" कुछ लड़कों ने हमारी कार का पीछा किया , हमें किडनैप करने की कोशिश की । बड़ी मुश्किल से जान बचाकर यहाँ तक आईं हैं ।" उनमें से एक लड़की ने आपबीती सुनाई ।

" देर रात आप घर से बाहर क्यों निकली ?" थानेदार साहब ने आखिर अपनी औकात बता ही दी ।

" यदि आप लड़कों को देर रात घर से बाहर न… Continue

Added by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 6:43pm — 13 Comments

लघुकथा --बंधन

"सुशील , शालिनी को लेने कब जाएगा ?" माँ ने चिंतित स्वर में कहा ।
" कब है रक्षा-बंधन ?"
"बस ! आज से ठीक चार दिन बाद ।
"मगर...मगर...।"
" क्या मगर , मगर ।'
" कुछ नहीं माँ.....।"
अब सुशील माँ से कैसे कहे कि उसने शालिनी की मोटी उधार की रकम आज तक नहीं चुकाई जो माँ के बग़ैर पूछे ले आया था ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 12:17am — 9 Comments

लघुकथा-- बर्थ-डे गिफ्ट

राहुल और साक्षी के जीवन में तनाव उस समय उत्पन्न हो गया जब साक्षी ने अपने सात वर्षीय बेटे अंशुल की ज़िम्मेदारी उठाने की अर्ज़ी कोर्ट में लगा दी । दर असल राहुल काम के संबंध में लंदन जाना चाहता था । साक्षी को सतारा में ससुराल में रहने को कहा । मगर साक्षी को पुणे में रहकर ही जॉब करना था । विवाद यहीं से पैदा हुआ । एक दिन राहुल अंशुल को लेकर सतारा आ गया और उसकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था करने लगा । साक्षी को बस यही नगवारा लगा ।

अंशुल के बर्थ-डे वाले दिन ही दोनों ने अलग होने का निर्णय ले लिया… Continue

Added by Mohammed Arif on August 2, 2017 at 11:13pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
1 minute ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
27 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
57 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service