For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Samar kabeer's Blog – December 2015 Archive (5)

कुछ छन्नपकैया सारछन्द

छन्न पकैया छन्न पकैया, खाकर रोटी चटनी

अब तो हम छन्दों में यारो,कहते विपदा अपनी



छन्न पकैया छन्न पकैया,सोवत काहे भैया

तेरी इस निंदिया के कारण डूब न जाये नैया



छन्न पकैया छन्न पकैया ,जीवन बीता रोते

क्यूँकि अपने साथ साथ औरों का दुःख भी ढोते



छन्न पकैया छन्न पकैया ,मुझ पर छींटा कँसती

जब भी मैं सच कहता हूँ ये ज़ालिम दुनिया हँसती



छन्न पकैया छन्न पकैया,भटके दर दर जोगी

कि भिक्षा देता वही उसे जो होता मन का रोगी



छन्न पकैया छन्न… Continue

Added by Samar kabeer on December 28, 2015 at 11:02pm — 8 Comments

कुछ छन्नपकैया सारछन्द (एक प्रयास)

छन्न पकैया छन्न पकैया,ओ.बी.ओ है बहतर

सारी बातें हो जाती हैं,यहाँ अदब में रहकर



छन्न पकैया छन्न पकैया, प्रभू की है माया

आज हुवा जाता है देखो,अपना ख़ून पराया



छन्न पकैया छन्न पकैया ,मंहगी बहुत दवाई

बिन इलाज के मर गए देखो,अपने बाबू भाई



छन्न पकैया छन्न पकैया,बढ़ा लो सब नाख़ून

इस दुनिया में लागू होगा,जंगलों का क़ानून



छन्न पकैया छन्न पकैया,वाणी अच्छी बोली

जब भी अपने लब खोलो तो बोलो सच्ची बोली



छन्न पकैया छन्न पकैया ,ग़ज़लें कहते… Continue

Added by Samar kabeer on December 21, 2015 at 10:00pm — 16 Comments

नस्री नज़्म :- आओ सबका ग़म बाँटें

आओ सबका ग़म बाँटें,

गीतों से,कविताओं से,

ग़ज़लों से,नज़्मों से,

हल्का होगा मन का बोझ

अपने ऐसा करने से,

शायद कुछ परिवर्तन आए,

दिल की कली फिर मुस्काए,

गंगा जमुना का संगम हो,

कुछ तो रब्त-ए-बाहम हो,

सुनते हैं,ताक़त से क़लम की,

इन्क़िलाब आ जाता है

क्यूँ न फिर इस इन्क़िलाब की,

तैयारी में जुट जाऐं,

ये सब मिल जुल कर ही होगा,

आओ इस मक़सद को लेकर,

कोई ऐसा गीत रचें,

ऐसी नज़्म जो दिल को छू ले,

ऐसी कविता,जो रस घोले,

सब को अपनी… Continue

Added by Samar kabeer on December 15, 2015 at 10:24pm — 7 Comments

नस्री नज़्म :- "आख़री सिगरेट"

ज़िन्दगी को,
अपनी सानवी हैसियत
का अहसास,
शिद्दत से हो रहा है,
लाओ,
ये बची हुई ,
आख़री सिगरेट भी जला लूँ,
ताकि क़िस्सा ख़त्म हो ।

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Added by Samar kabeer on December 7, 2015 at 10:48pm — 8 Comments

नस्री नज़्म :- "तीसरा विश्व युद्ध"

आत्म ग्लानी से

मेरी गर्दन झुक जाती है

जब मैं यह देखता हूँ

कि इंसान ,तरक़्क़ी करते करते

इन हदों पर पहुँच चुका है

कि उसने,

पिशाच का रूप ले लिया है,

आज हम तीसरे विश्व युद्ध के

दहाने पर खड़े हैं,

इसी पिशाचता के कारण,

ताक़त की भूक

बहुत बढ़ गई है,

अब सिर्फ़,एक चिंगारी की आवश्यकता है,

और युद्ध शुरू,

परिणाम ?

तबाही ,बर्बादी

नरसंहार ,ख़ून के दरिया

लाशों के अंबार

भूक,लाचारी,

इंसानी जान की कोई क़ीमत नहीं,

सब… Continue

Added by Samar kabeer on December 2, 2015 at 4:08pm — 14 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service