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Pawan Jain's Blog (11)

हिस्साबांट

पंडितजी पूजा के पहले साफ करते करते बुदबुदाते न खुश न दुखी अजीब सी ऊहापोह में दबाए रखते क्रोध को,न बाहर आने देते न जज्ब ही कर पाते।

"क्या हो गया पंडित जी ?"

"देखो तो, पूरा गर्भगृह गंदा कर देते हैं, रोज रोज रगड़ रगड़ के साफ करना पड़ता है।"

"अरे ये तो बहुत गंदगी करते हैं।"

मूर्ति की ओर इशारा करते हुए,"सब इनकी मर्जी है।"

"क्या इनकी मर्जी, शाम को सब प्रसाद उठा लिया करो,और बंद कर दो सारे बिल,पिंजरा भी रख दो।"

"शुभ शुभ बोलो भइया, उनका भी तो हिस्सा है इस चढावा में, हम…

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Added by Pawan Jain on June 11, 2016 at 10:00am — 2 Comments

कन्या दान

कन्या दान के बाद से बिदाई तक लगातार रोती रही । रोते रोते सोफे पर बेसुध सी पडी़ रही।सभी बिदाई में व्यस्त जो थे।

दादा जी ने गोदी में उठाया,"उठ बिट्टो खाना खा ले, बुआ तो गई।"

तुनक कर गुस्से से बोली "नहीं कुछ नहीं खाउंगी आपने मेरी कल्लो बुआ और लाली बछिया दोनों को दान में दे दिया।बुआ को दूल्हा अपने साथ ले गया।"

"बुआ की शादी हुई है बिट्टो,बे तुम्हारे फूफा जी है।"

"कोई फूफा जी नहीं, मैं और बुआ दोनों रोते रहे फिर भी बुआ को साथ ले गए।"

"अगले हफ्ते ले आयेगे बुआ को।"

"अब…

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Added by Pawan Jain on April 17, 2016 at 7:30am — 5 Comments

पर क्यों?

पर क्यों

पांच सौ रूपये महीने की बाई,

प्रतिस्थापित हो जाती है,

सहेली में,

सब सुख दुख,

सास की ज्यादतियां,

पति की बेवफाईयां,

बड़े प्रेम से सुनती है,

कमेंट्स भी देती है ,

मरहम भी रखती है,

चली जाती है दूसरे घर,

बेतार की सेवा प्रदान करने।

कभी कभी,

प्रतिस्थापित हो जाती है,

संशय के घेरे में,

शक के डेरे में,

सौत बन जाती है,

पर देहरी नहीं छुड़ाती,

अजीब सी कसमसाहट देती है,

रस भरी प्रेम पगी,

कथायें सुनाती है…

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Added by Pawan Jain on April 11, 2016 at 10:05am — No Comments

पुन्न (पुण्य) लधु कथा

पुन्न (पुन्य)

आज बड़ी बुआ आ गई,थैला और पेटी के साथ ।

"ये लल्लू ,पइसा दे दे रिक्शा बाले को,मेरे पास फुटकर नहीं हैं ।"

रिक्शा के पैसे दे ,चरणस्पर्श का आशीर्वाद लेकर पेटी अम्मा के कमरे में रख दी ।बुआ ने पेटी पलंग के नीचे खिसका ,ताला हिला कर तसल्ली कर ली ।इस बार पेटी कुछ ज्यादा ही भारी है।पेटी पर लगा अलीगढ़ी ताला ,जिसकी चाबी उनके गले में पड़ी तीन तोले की चेन में लटकी रहती ।

क्या किस्मत है,इस लोहे की चाबी की ,चौदह वर्ष की उम्र से ब्लाउज के अंदर उनके साथ। बाल विधवा बुआ ने…

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Added by Pawan Jain on March 21, 2016 at 2:30pm — 5 Comments

अनचाहा (लघु कथा )

मानसिक रूप से तैयार न होने के बावजूद उसने बीज डाल दिया और अंकुर भी फूट गया ।नौ माह कैसे सिंचित हुआ,चूसता रहा रस परजीवी बन कर ।
"लो ये आ गया आपका कुल दीपक ।"
बच्चे को सास के सुपुर्द करते हुए।"अब सम्हालो इसे।"

छुट्टी खराब कर दी छः महीने की और छः स्ट्रेच निल की बोतल ।

.

पवन जैन,जबलपुर।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by Pawan Jain on March 10, 2016 at 5:00pm — 3 Comments

फाउंटेन पेन (लघुकथा)

उस जमाने में बी ए प्रथम श्रेणी से पास होने पर बाबू जी को कालेज के प्राचार्य ने पारितोषिक स्वरूप दिया था ।बाबू जी ने न जाने कितनी कहानियाँ,कविताएँ लिखी इस पेन से। हमेशा उनकी सामने की जेब में ऐसे शोभा बढ़ाये रखता जैसे कोई तमगा लगा हो। मेरी पहली कहानी सारिका में प्रकाशित होने पर बाबू जी ने प्रसन्न हो कर मेरी जेब में ऐसे लगाया जैसे कोई मेडल लगा रहे हों और साथ में हिदायत दी कि इस पेन से कभी झूठ नहीं लिखना,और न ऐसा सच जिससे किसी का अहित हो। आज बाबू जी की पुण्य तिथि पर उनकी तस्वीर पर माला चढा कर…

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Added by Pawan Jain on February 27, 2016 at 11:30am — 8 Comments

शनि (लघुकथा)

विवाद समाप्त होते न देख,मामले को कोर्ट के सुपुर्द कर दिया।शनि को भी पार्टी बनाया गया,बकायदा समन भेजा गया।निर्धारित तारीख पर कोर्ट में उपस्थिति हेतु आवाज लगाई।सभी पार्टियां मुस्कुरा रही थी,हूंह अब शनि आयेंगे गवाही देने।तत्क्षण विटनेस बाक्स में भुजंग काला सुगठित शरीर,गदा लिए,दिव्य प्रकाश के साथ उपस्थित हुए।विस्मय से चकित न्यायाधीश ने शपथ की कार्रवाई कराई ।

"सत्य बोलूंगा,सत्य के सिवा कुछ नहीं बोलूंगा,जो भ्रमित है ,उन्हें भी सत्य पर चलना सिखाता हूँ।"

" तो प्रवेश पर रोक क्यों…

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Added by Pawan Jain on February 3, 2016 at 8:47am — 15 Comments

स्वप्न

ए सी केब से उतर कर कैमरा,जूम लैंस,बाईनाकुलर सम्हाल भरतपुर बर्ड सेंचुरी में दस दिन बिताने का प्रोग्राम..

"यह क्या भाई सा ? कोई चहल पहल नहीं, बंद है क्या?"

"नहीं तो लोग आते है,दो घंटे में देख कर चले जाते हैं।"

"दो घंटे में तो अंदर झील तक ही नहीं पहुंच पायेंगे।"

"कहां की झील,सब सूखा पड़ा है।"

"यें... कहाँ गए वे दरख्त, घास के हरे भरे मैदान, झील पानी और कलरव।"

"सब झुलस गऐ, सूख गऐ, पिछली साल जो पंछी बचे थे, गर्मी में पेड़ों से पके फलों की तरह टपक गऐ, साइबेरियन क्रेन…

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Added by Pawan Jain on January 11, 2016 at 8:30am — 8 Comments

शादी (लघुकथा)

बचपन से ही मेरी माँ ने मुझे फ्राक की जगह पेंट शर्ट पहनाया, मेरा राजा बेटा बड़ा बहादुर है,सुन सुन बड़ी हुई। पर आज क्यों मेरा नाम ले लेकर रो रही हैं।

"क्या इसी दिन के लिए पढाया लिखाया अपने पैरों पर खड़ा किया?"

"माँ यह क्या घिसा पिटा डायलॉग,मैं ऐसा क्या गलत कर रही हूँ? मैं नहीं प्रदर्शित कर सकती अपने आप को ट्रे लेकर चाय के कपों के समान।"

"तो कोई अपने मन का लड़का ढूंढ ले,तुझे इतनी आजादी तो दी है।"

"क्या लडका ढूंढ लूँ,सब लिजलिजे, ढुलमुल।एक फटकार में पेंट गीला कर दें।"

"तो…

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Added by Pawan Jain on January 8, 2016 at 1:30pm — 11 Comments

अहसास

अहसास क्रिसमस की छुट्टियों में आये पोता पोती ,दादी जी के लाड प्यार में पूरे घर में धमा चौकडी मचाये रखते हैं ।इस बार दादी को फेसबुक और इंटरनेट का पाठ याद करा दिया । आज न जाने क्या सूझी दादी को दोनों को लेकर रसोई में पहुंच गई ।सभी दालें दिखाई पर सिर्फ चना और राजमा पहचान पाये ,दादी ने सभी अनाजों की पहचान कराई ,नया पाठ था बच्चों को , जल्दी सीख गए । "बेटा सचिन कुकर उठाओ ,इसका ढक्कन लगाओ ।" "दादी यह तो लग ही नहीं रहा ।" "देखो बेटा यह गास्केट है ,यह सेफ्टी वाल्व है ,तुम्हें यह तो मालूम है कि कुकर…

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Added by Pawan Jain on December 25, 2015 at 5:30pm — 4 Comments

नियाग्रा फाल

।।नियाग्रा फाल।।

" मम्मी बधाई हो ,आप दादी बनने वाली है ।तीन माह हो गये।"

खुशी से सराबोर, जल्दी से स्पीकर आन कर ।"बधाई हो,बधाई

हो, बेटा ख्याल रखना बहू का ,पहले क्यों नहीं बताया, बहू

ठीक तो है ना , कोई परेशानी तो नहीं ?"

"सब ठीक है मम्मी । मम्मी, पापा से कहो पासपोर्ट बनवा लें दोनों का।अभी टाइम है तब तक में बन ही जायेगा ।"

"पासपोर्ट का क्या करना है बेटा ?"

"क्यों ,यहाँ अमेरिका घूमने नहीं आओगे ?"

"तेरे पापा को छुट्टियां कहां मिलती है ?"

"मम्मी मैं कुछ…

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Added by Pawan Jain on December 20, 2015 at 5:25pm — 2 Comments

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