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Harikishan ojha's Blog (10)

ईमानदारी (लघु कथा)

एक ही क्लास में पढ़े हुएI साथ साथ रहते बड़े हुएI मेरे दोस्त ने बेईमानी का रास्ता चुना और नजदीक के शहर में रहते हुए राजनेता बना और में ईमानदारी से गरीबी से लड़ते हुए टीचर बनाI लेकिन दोस्त की अच्छी बात ये रही की वो आज भी मुझसे बातें करता हैI और हर संभव मदद भी करता हैI और अपने शहर में आने का न्योता भी देता हैI आज उन से मिलने का प्लान बना लियाI बजाज का स्कूटर को बीस पच्चीस किक मारकर गर्म किया और अपनी भाग्यवान से धक्का मरवा कर चालू कियाI जैसे ही दोस्त के शहर पंहुचाI एक चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस ने…

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Added by harikishan ojha on October 18, 2016 at 10:43am — 2 Comments

सर्जिकल स्ट्राइक्स (कविता)

हमने बहुत समझाया
ये समझाने की हद थी,
उस कमबख्त को न
मानने की जिद्द थी,
हर बार हमले के बदले
आम और प्यार भेजा,
लेकिन नापाक ने हर बार
आंतकियों को सीमा पार भेजा,
अब तो हद हो गयी
उरी में सोये जवानों को जलाया,
दुनिया में आंतकी कहलाया,
वीरों ने ठान लिया अब इलाज
जरुरी है ताकि अहसास हो सके,
इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक्स
जरुरी था ताकि दहशत हो सके,
"मौलिक व अप्रकाशित"

Added by harikishan ojha on October 2, 2016 at 12:55pm — 8 Comments

क़ुरबानी

जैसे ही पता चला कुछ आंतकवादी हमारी सीमा में घुस गए और मुठभेड़ में जवान कुर्बान हो रहे हैI आनन फानन में एमरजेंसी मीटिंग बुलाई पक्ष विपक्ष दोनों आये गहन चिंतन शुरू हुआI धीरे धीरे आरोप प्रत्यारोप शुरू हुआI गहन चिंतन गाली गलोच में तब्दील हो गयाI अब तो हद हो गयीI एक दूसरे के कपङे फाड़ने लगेI दोनों तरफ क़ुरबानी दे रहे थेI फर्क बस इतना थाI की एक कुर्सी के लिए तो दूसरा धरती माँ के लिएI "मौलिक व अप्रकाशित"

Added by harikishan ojha on September 21, 2016 at 7:40pm — 4 Comments

बेजुबान - लघु कथा

आज सुबह सुबह ही सब लोग ईद की तैयारी में लग गएI अब्दुल मियां एक बकरी का बच्चा लाये और क़ुरबानी की तैयारियां शुरू हुई,

अब्दुल का दस साल का लड़का सलीम गुमसुम सा ये सब देख रहा था,…

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Added by harikishan ojha on September 14, 2016 at 6:00pm — 10 Comments

पी.एच.डी. (एक कथा)

आज मेरी "दुष्कर्म" पर हो रही शोध को पुरे तीन साल हो गएI बस अब तो पर्यवेक्षक का फाइनल वेरिफिकेशन बाकि हैI उसी काम के लिए आज उन्होंने मुझे अपने घर पर बुलाया हैI

"गुड मॉर्निंग सर" - में घर में घुसते ही बोलीI

"आओ दामिनी किसी हो"

"ठीक हुँ सर"

घर में सन्नाटा था, में सोफे पर बैठ गईI "मेडम नहीं दिख रहे" कहाँ है?

वो मायके गई हैI, तपाक से जवाब मिलाI ये सुन में थोड़ी डर गई, वो मेरे पास आकर बैठ गए, मुझे अजीब सी घुटन होने लगीI मेरी धड़कने तेज हो गई, न जाने क्यों मुझे कुछ अनहोनी का…

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Added by harikishan ojha on February 22, 2016 at 8:46pm — No Comments

"माहौल" एक सच्चाई

ऑफिस से आकर सबसे पहले टीवी ऑन किया तो गलती से दूरदर्शन लग गयाI  इसे देख कर लगा की  देश अपनी रफ़्तार से प्रगति कर रहा हैI चारों और शांति हैI सब अपना अपना काम कर रहे हैI हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब एकता की मिसाल दे रहे हैI और भारत दुनिया के अग्रसर देशो में शुमार होने जा रहा हैI लेकिन जैसे ही निजी न्यूज़ चेंनलो की और बढ़ा तो लगा,  देश में साम्प्रदायक माहौल बिगड़ गया हैI चारो और हत्याए हो रही हैI हर जगह दंगे भड़क गए हैI  चारो और धारा144 लगी हुई हैI सवर्ण दलितों को मार रहे हैI जगह जगह बलात्कार हो…

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Added by harikishan ojha on November 2, 2015 at 2:10pm — 7 Comments

"पानी" (लघुकथा)

रोज की तरह आज भी सुबह सुबह हो-हल्ला सुन कर में उठ गयाI  घड़ी की तरफ देखा तो चार बज रहे थेI घर के सभी सदस्य अपने दोनों हाथोँ में पानी के बर्तन लेकर तैयार खड़े थेI और मेरे लिए भी पानी के बर्तन तैयार थेI हम सब लोग पानी भरने के लिए निकल पड़ेI 3 घंटे बाद पसीने से लथपथ दो दो बाल्टी पानी मिला तो सुकून की साँस लीI  लाइन में खड़े खड़े पाँव अकड़ गए थे, इसलिए थोड़ा बैठकर राहत की साँस ली, फिर अपने घर की तरफ चल पड़ा, रास्ते में चौबे जी के घर के आगे पड़े अख़बार की हेडलाइन "मंगलग्रह पर मिला पानी" पढ़कर ख़ुशी से बाँछे…

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Added by harikishan ojha on September 30, 2015 at 3:00pm — 9 Comments

"संस्कार" एक लघुकथा

में अपने छोटे बेटे के साथ शहर में रहता हुI और मेरी घरवाली गाव में बड़े बेटे के साथ रहती हैI समय के अनुसार जायदाद के साथ साथ हमारा भी बंटवारा हो गयाI आज उसकी बहुत याद आ रही थीI फ़ोन में रिचार्ज खत्म होने की वजह से कई दिनों से उस से बात नहीं हो पाईI पिछले तीन दिनों से बेटे को बोल रहा थाI पर बेटे को ऑफिस में टाइम नहीं मिलने की वजह से रिचार्ज नहीं करवा पायाI आज भी में बेटे को ऑफिस जाते समय रिचार्ज याद दिला रहा थाI तभी बहु की पीछे से आवाज आई, बावजी - आप को कितनी बार बोला…

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Added by harikishan ojha on April 29, 2015 at 12:40pm — 19 Comments

"आरक्षण"

ग्रेजुएशन की पढाई कर रहे राजेश और सुरेश अच्छे दोस्त थेI राजेश बहुत ही गरीब घर से थाI और सुरेश रहीस खानदान से थाI लेकिन दोनों के विचार मिलते थेI इसलिए दोनों में अच्छी दोस्ती थीI राजेश के घर में तीन बहिने, बूढी माँ और बीमार पिता थेI उन के घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थीI लेकिन सुरेश कभी कभी राजेश की सहायता कर देता थाI सुरेश के घरवालों को ये कतई मंजूर नहीं था की उनका बेटा किसी गरीब के घर जायेI इसी कारण दोनों में दूरिया बढ़ती गयीI उन्हीं दिनों में राजनैतिक दांव पेंच के बीच आरक्षण प्राप्त समुदायों…

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Added by harikishan ojha on January 18, 2015 at 11:00pm — 13 Comments

दृष्टिकोण (लघुकथा)

चौराहे पर आकर एक लम्बी कार रुकी तो एक भिखारिन अपने बच्चे को गोद में उठा कर उस के पास जाकर भीख मागने लगी तभी उसकी नजर उस कार की पिछली सीट पर रखी एक फोटो पर गई जिस में एक गरीब औरत पुराने चिथड़ों से अपने शरीर को ढकते हुए अपने बच्चे को अपने आँचल में छुपाते हुए डरी सहमी बैठी थी यह वही फोटो थी जो पिछले दिनों लाखो रुपयों में बिकी थी, इतनी ही देर में कार के अंदर से आवाज आई, "चल चल आगे चलो…

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Added by harikishan ojha on January 5, 2015 at 10:00am — 9 Comments

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