Added by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2016 at 10:54am — 4 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on May 2, 2016 at 8:22am — 14 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on February 2, 2016 at 8:21am — 5 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2016 at 9:30am — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 10, 2015 at 11:08am — 9 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 9, 2015 at 6:20pm — 10 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 9, 2015 at 1:10pm — 7 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 9, 2015 at 6:27am — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2015 at 9:53pm — 10 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 2, 2015 at 5:09pm — 1 Comment
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2015 at 11:31am — 7 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 11, 2015 at 10:39pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 11, 2015 at 3:29pm — 5 Comments
"यार , शिक्षा , आई मीन , एजुकेशन , है बड़ी इम्पॉर्टेंट चीज़।"
"अच्छा तुझे भी टीचर्स डे पर ही शिक्षा याद आ रही है "
"हाँ यार , गागर में सागर भर देती है , सागर से मोती निकालना सिखा देती है। "
"ठीक कहते हो यार, पर लगता नहीं यार कि हमारे यहां तो लोग पढ़ कर या तो सागर पार चले जाते हैं ,
या फिर इस पार रेत माफिया जैसे बन कर रह जाते हैं। "
"तुम्हारा मतलब सागर में उतरता कोई नहीं। "
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Dr. Vijai Shanker on September 5, 2015 at 11:30am — 6 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on July 16, 2015 at 1:00am — 10 Comments
बच्चा करीब छह महीने का हुआ था ,लेटे - लेटे इधर उधर देखता और रोने लगता। माँ - बाप उसे बहलाने की कोशिश करते पर वह चुप नहीं होता। परेशान माँ - बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने उसे देखा और कहा, बच्चा बिलकुल ठीक है , इसे स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या नहीं है। पर बच्चा था कि शांत ही नहीं होता , जो खिलौना दिया जाता उसे फेंक देता, गुस्सा दिखाता और रोने रोने को हो जाता।
परेशान माँ - बाप उसे मनोवैज्ञानिक के पास ले गये. उसने परीक्षण किया, कहा बच्चा बिलकुल…
Added by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2015 at 1:41pm — 22 Comments
“माँ ! मैं तुम्हारे और दोनों भाइयों के हाथ जोडती हूँ, मुझे कुछ पैसे दे दो या दिलवा दो.. भगवान् के लिए मदद करो.. चार दिनों बाद बेटी की शादी है..”
“देखो दीदी..! .. हमने हर समय तुम्हारा बहुत साथ दिया है.. यहाँ तक कि तुम्हारी दोनों बेटियों की शादी का पूरा खर्च वहन करने की सोचे थे. बेटे को भी काम-धंधे पर लगवा देंगे.. लेकिन तुमने निकम्मे जीजाजी.. और लोगो के कहने पर हम पर ही मुकदमा दायर कर दिया.. ? क्या तो हिस्सा पाने की खातिर ?!! ”
“माँ, तुम तो कुछ बोलो, तुम्ही समझाओ न.. इन…
Added by जितेन्द्र पस्टारिया on June 10, 2014 at 1:00am — 14 Comments
" सच! बहुत ही अच्छे इंसान थे बल्लू भैया !! क्षेत्रीय बैंक के अध्यक्ष पद पर होते हुए उन्होंने सभी की बहुत मदद की , जो कोई भी पहचान वाला आकर अपनी समस्या बतलाता , उसे कैसे न कैसे बैंक से आर्थिक मदद दिलवा ही देते थे. आज कई लोग तो उन्हीं की वजह से आबाद हुए बैठे है"
" हाँ भाई..! उनकी माँ के मर जाने के बाद आज उनका अपना कोई भी तो नहीं. देखा न ! पिछले वर्ष जब उनकी माँ की मृत्यु हुई थी तो बल्लू भैया के साथ-साथ सैकड़ों लोग सिर मुंडवाने को आगे आ गये और कहने लगे कि यह हम…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on May 7, 2014 at 10:58am — 40 Comments
“मालिक..! मुझे एक माह की छुट्टी चाहिए थी, बहुत जरुरी काम आन पड़ा है.. या हो सके तो एक नये नौकर की जुगाड़ भी कर के रखना.हुआ तो लौटकर काम पर नहीं भी आऊँ ” रोज अपने कान के ऊपर से बीड़ी निकाल के पीने वाले रामू ने, आज सिगरेट का कस खींचते हुए कहा
“अरे भाई..यहाँ पूरा काम फैला पड़ा है और तू है कि एक माह की छुट्टी की बात कर रहा है, ऐसा क्या काम आ गया ..? कि तू काम भी छोड़ सकता है “ गजाधर ने बड़े परेशान होकर पूछा
“ वो काम यह है कि मेरी ससुराल वाला गाँव, बाँध की डूब में…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on April 28, 2014 at 12:00pm — 26 Comments
“अरे! रामेश्वर भाई..समझ नही आता क्या करें ? किस को क्या समझाएं ? किस दुःख में शामिल होने चलें?”
“सही कह रहे हो..तुम किशन भाई, वहां बेचारे दीनानाथ जी का शव अंतिम संस्कार की राह देख रहा है और उनके चारों बेटे आपस में बटवारे को लेकर झगड़ रहे है..”
" हाँ भाई..! रामेश्वर , दीनानाथ जी ने अपनी अर्थी के लिए चार काँधे तैयार किये थे, न जाने क्या कमी रह गई "
जितेन्द्र 'गीत'
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by जितेन्द्र पस्टारिया on April 7, 2014 at 11:09am — 30 Comments
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